कोरोना ने फुल किए लखनऊ के कोविड अस्पतालों के बेड, एम्बुलेंस का भी टोटा

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में कोरोना मरीजों की बेतहाशा बढ़ती संख्या के बीच अब उन्हें इलाज मिलना भी मुश्किल होता जा रहा है। सीएमओ कार्यालय स्थित कंट्रोल रूम में मदद के लिए की गई कॉल पहले तो लगती ही नहीं और यदि लग भी गई तो मरीजों को यहां से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।

नतीजा ये कि मरीजों को सूचना मिलने के दो घंटे में भर्ती कराने के दावे हवा हो गए हैं और लोगों को दो-दो दिन तक भटकने के बाद भी कोविड अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है। किसी तरह अस्पताल पहुंच भी गए तो बेड न होने का हवाला दिया जा रहा है। इससे इलाज के अभाव में कई मरीज दम तोड़ दे रहे हैं।

कोरोना मरीजों को भर्ती कराने से लेकर जांच तक का जिम्मा सीएमओ कार्यालय का है। यहीं से मरीजों को अस्पताल आवंटित किए जाते हैं। साथ ही एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई जाती है। निजी पैथोलॉजी की जांच में भी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सीएमओ कार्यालय द्वारा ही संबंधित मरीज को फोन करने का नियम है, लेकिन सीएमओ कार्यालय कोई नियम फॉलो नहीं कर रहा।

मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में परेशानी न हो इसके लिए पिछले हफ्ते एंबुलेंस की संख्या बढ़ाकर 15 से 25 कर दी गई, लेकिन इसके बाद भी मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। जवाहर भवन के कोरोना कंट्रोल रूम में तैनात एक डॉक्टर की रिपोर्ट शुक्रवार को पॉजिटिव आने पर सीएमओ कार्यालय को जानकारी दी गई। लेकिन शनिवार दोपहर तक एंबुलेंस न मिलने पर वह निजी साधन से जाकर अस्पताल में भर्ती हुए।

इंतजार में उखड़ीं सांसें
मानसरोवर योजना निवासी व्यक्ति ने कोरोना के लक्षण आने पर सीएमओ कंट्रोल रूम कॉल किया, लेकिन फोन नहीं लगा। हालत बिगड़ने पर घर वालों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। इससे गुरुवार को घर में ही मरीज की मौत हो गई। इसके बाद स्वास्थ्य टीम ने पत्नी व दो बच्चों की जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उन्हें शनिवार दोपहर को लोहिया संस्थान में भर्ती कराया जा सका।

आश्वासन दे रहे, भर्ती नहीं करा रहे
रजौली गांव में गुरुवार को कोरोना पॉजिटिव मिले मरीज ने भर्ती कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फोन किया गया, लेकिन आश्वासन के बाद भी शनिवार शाम तक भी मरीज को शिफ्ट नहीं किया जा सका।

डीएम तक सूचना, नहीं कराया भर्ती
तेलीबाग के लाऊंगा खेड़ा वार्ड खरी का निवासी हरी लाल यादव की रिपोर्ट गुरुवार को पॉजिटिव आई थी। इनका बेटा सीएमओ के बाद जिलाधिकारी को भी मामले की जानकारी दे चुका है। इसके बाद ही शनिवार तक मरीज को शिफ्ट नहीं किया जा सका।

तीन दिन बाद भर्ती हुए पुलिसकर्मी
मोहनलालगंज कोतवाली के तीन पुलिसकर्मी 15 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव मिले। शनिवार को जब मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा सका।

अस्पतालों की दौड़ में गई जान, शव वाहन मिलने में लगे 17 घंटे
लालकुआं की 57 वर्षीय महिला की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर 16 जुलाई को लोक बंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुक्रवार दोपहर हालत बिगड़ने पर पीजीआई भेजा गया, लेकिन वहां बेड न होने की बात कह केजीएमयू भेजा गया। महिला केजीएमयू में भी भर्ती नहीं की जा सकी तो रात 8 बजे एरा मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां पहुंचते ही उसकी मौत हो गई और उसे होल्डिंग एरिया से ही डॉक्टरों ने लौटा दिया।

मृतका के परिवार के संजय यादव का कहना है कि इसके बाद एंबुलेंस चालक ने गाइडलाइन का हवाला देकर शव ले जाने से मना कर दिया। सीएमओ कंट्रोल रूम के साथ सीएमओ से भी संपर्क किया, लेकिन रात 12 बजे तक वाहन नहीं मिला। इसके बाद डीएम को सूचना दी, फिर भी शनिवार दोपहर बाद शव वाहन आया।

इस तरह वाहन मिलने में 17 घंटे लग गए। शाम करीब 4 बजे कोराना गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। संजय ने मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री से शिकायत की है। मामले में सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि वाहन भेजने में देरी की जांच कराई जाएगी।

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