यह सवाल इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस से जंग में पूरा देश एकजुट दिख रहा है। जाति, धर्म, पंथ की सीमाओं से उठकर ज्यादातर लोग सोशल डिस्टेंसिंग के लिए जरूरी नियमों का पालन कर रहे हैं। लेकिन ममता बनर्जी अब भी पुराना राग अलाप रही हैं। ममता ने कहा है कि वह केंद्रीय टीम की इजाजत नहीं दे पाएंगी, क्योंकि यह संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है। यह कुछ उसी तरह है जैसे ममता अकसर राज्यपाल पर सवाल उठा देती हैं तो कभी केंद्र सियासी मुद्दों पर घेर लेती हैं। जबकि यह लड़ाई सियासी नहीं बल्कि एक घातक वायरस से है।
महाराष्ट्र-राजस्थान के लिए भी आदेश, फिर क्यों विरोध
बंगाल के अलावा महाराष्ट्र के मुंबई-पुणे, मध्य प्रदेश के इंदौर और राजस्थान के जयपुर के लिए भी केंद्र सरकार ने समान आदेश जारी किया है। गौर करने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी के अलावा बाकी किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने इस कदम का विरोध नहीं किया है। महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं लेकिन वहां के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय टीम भेजने के कदम को संविधान के खिलाफ नहीं बताया है। यही नहीं बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में भी यह टीम जा रही है। फिर कैसे माना जाए कि ममता बनर्जी लॉकडाउन पर राजनीति नहीं कर रही हैं।
दो हफ्ते पहले ममता बनर्जी ने पांच सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति बनाई। यह कमिटी कोरोना संक्रमण के बाद मरने वालों की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेगी। कमिटी यह पुष्टि करेगी कि मौत की वजह कोरोना है या कोई दूसरी बीमारी। दरअसल बीजेपी ने कोरोना मृतकों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया था। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दिलीप घोष ने कहा था कि कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा अचानक 7 से 3 पर कैसे पहुंच गया। अगर बाकी चार लोग भी कोरोना के शिकार थे तो सरकार कैसे कह सकती है कि मौत की वजह दूसरी थी।
लॉकडाउन की समीक्षा के लिए केंद्र का यह कदम
दरअसल केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में दो आईएमसीटी भेजने का फैसला लिया है। इस टीम में केंद्र के अलग-अलग मंत्रालयों के अधिकारी और मंत्री शामिल हैं। ये टीमें राज्य की कोरोना के खिलाफ तैयारियों और मुख्य रूप से लॉकडाउन की सफलता की समीक्षा करेंगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा, ‘ये टीमें जनहित में हालात का ऑन स्पॉट असेसमेंट करेंगी, राज्य सरकारों को निर्देश देंगी और अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेंगी।’ बताते चलें कि बंगाल में अब तक कोरोना के 392 पॉजिटिव केस सामने आए हैं, वहीं 12 मरीजों की मौत हो चुकी है।
पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा के नेतृत्व वाली टीम में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया, महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पीएमओ के अपने भरोसेमंद अफसरों डॉ. श्रीकर परदेशी और मयूर माहेश्वरी को भी इस टीम में रखा है। ग्रुप में शामिल एक अधिकारी ने ‘पीएम मिशन मोड में काम कर रहे। वह देश ही नहीं दुनिया में कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़ों पर पूरी नजर रखते हैं। मसलन, कितने लोग पॉजिटिव मिले, कितने लोगों की जांच हुई और कितने लोग इलाज से स्वस्थ हुए, ऐसे ताजातरीन अपडेट लेते रहते हैं।’