लोकसभा चुनाव में अब बेहद कम दिन रह गया है। बीजेपी राम मंदिर के सहारे एक बार फिर चुनाव जीतने का दम भर रही है। इतना ही नहीं मोदी के चेहरे पर एक बार फिर बीजेपी सत्ता में लगातार तीसरी बार लौटने का सपना देख रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी अब पहले से ज्यादा एक्टिव नजर आ रही है।
हालांकि इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई लेकिन कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपना प्लॉन तैयार कर लिया है।
दरअसल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ेगी उसको लेकर कांग्रेस ने अपना खाका तैयार कर लिया है। बीते कुछ दिनों कांग्रेस इस पर रणनीति बना रही है।
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर अभी भले ही कुछ तय नहीं हुआ हो लेकिन कांग्रेस की गठबंधन समिति की आंतरिक बैठक की गई, जिसके बाद जो तस्वीर सामने आई उसे पता चल रहा है कि पार्टी ने मजबूत 290 सीटों पर अकेले चुनाव लडऩे का पूरा मन बना लिया है लेकिन अब इस आंकड़े में थोड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
आईएनडीआईए गुट के सहयोगियों की खींचतान और दबाव के बीच कांग्रेस नेतृत्व ने गुरुवार को राज्य इकाइयों से कहा कि पार्टी अगले लोकसभा चुनावों में 255 सीटों पर फोकस करेगी। इससे एक बात तो साफ हो रही है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि किसी तरह का कोई विवाद पैदा हो। कांग्रेस को पता है कि पंजाब, दिल्ली, यूपी, बिहार में उसे कम सीट मिलने जा रही है। इसलिए उसने अब तय कर लिया अब पूरा जोर 255 सीट पर लगाया जाये और बाकी आईएनडीआईए गुट के सहयोगियों के लिए छोड़ दिया जाये । ऐसे में अब लग रहा है कि बहुत जल्द सीट शेयरिंग का हल निकल जायेगे क्योंकि कांग्रेस ने अपनी स्थिति साफ कर दी है।
बता दे कि लोकसभा चुनाव में अब करीब-करीब तीन महीने का वक्त रह गया है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
बीजेपी अपनी रणनीति में लगातार बदलाव कर रही है और पुराने फॉर्मूले पर चुनाव लडऩे का मन बना चुकी है जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी भी लगातार रणनीति बना रहे हैं लेकिन इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी चुनौती है सीट शेयरिंग।
यूपी में अखिलेश यादव ने पहले ही कांग्रेस को बता दिया है उन्हें कितनी सीट देने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इन आठ सीटों में ज्यादातर शहरी सीटें हैं। सपा ने कांग्रेस को गठबंधन के लिए वाराणसी और लखनऊ जैसी 8 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए कहा है।
हालांकि कांग्रेस ने इस ऑफर पर कोई जवाब नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि हाल के तीन राज्यों में कांग्रेस की हार इसका सबसे बड़ा कारण है। इस वजह से सपा से लेकर ममता की पार्टी कांग्रेस पर लगातार दबाव बना रही है।