नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में बीते 24 घंटे में तेजी से घटनाक्रम बदला है। नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। नीतीश कुमार महागठबंधन के सहयोग से आठवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। बिहार में जदयू-एनडीए का गठबंधन क्यों टूटा? नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ हाथ क्यों मिलाया? क्या इस घटनाक्रम के पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का हाथ है… इन तमाम सवालों के बीच प्रशांत किशोर खुद सामने आए हैं। उन्होंने इस पर टिप्पणी भी की है।
प्रशांत किशोर ने बुधवार को एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने बिहार के सियासी हालात पर खुलकर बातचीत की। प्रशांत किशोर ने बताया कि जदयू और महागठबंधन के मेल पर उनका कोई योगदान नहीं है। पीके ने कहा कि उनकी ऐसी इच्छा भी नहीं है।
‘भाजपा के साथ खुश नहीं थे नीतीश कुमार’
प्रशांत किशोर ने बताया कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन से खुश नजर नहीं आ रहे थे। जदयू और भाजपा के विचारों में मतभेद थे। प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि नीतीश कुमार ने किस एजेंडे पर गठबंधन किया है, इसे जनता के सामने रखना चाहिए।
’10 सालों में छठा प्रयोग’
प्रशांत ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने पिछले 10 सालों में छठा प्रयोग किया है। नीतीश को इसका नुकसान हो रहा है। प्रशांत ने कहा कि जदयू के अब 43 विधायक रह गए हैं। प्रशांत ने तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार में ग्रोथ भी नहीं दिख रही है। उनके काम में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने अब पाला बदल लिया है, इसका असर चुनाव में देखने को मिलेगा। बिहार की जनता अब नीतीश कुमार के नाम पर वोट भी नहीं कर रही है। 2010 में उनका जो स्ट्राइक रेट था, वह भी अब लगातार कम हो रहा है।