नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में कई बड़े फैसले लिए। इनमें सबसे बड़ा फैसला भारतीय इकोनॉमी के ग्रोथ अनुमान को घटाना है। साथ ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक और परेशान करने वाली कही कि खाद्य तेल की कीमतें (Edible Oil Prices) निकट भविष्य में ऊंचे स्तर पर ही बने रहेंगे। इनकी कीमतों में गिरावट आने की संभावना न के बराबर है।
1- 10 साल की बॉन्ड यील्ड बढ़कर 7% हो गई
मौद्रिक नीति की बैठक के बाद गवर्नर आरबीआई शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्रीय बैंक एलएएफ कॉरिडोर को 50 बीपीएस पर बहाल करेगा, क्योंकि यह पूर्व Covid था। साथ ही FY23 जीडीपी प्रोजेक्शन में कच्चे तेल की कीमतों को 100 डॉलर प्रति बैरल पर आंका है। उन्होंने कहा कि भारत में 10 साल की बॉन्ड यील्ड बढ़कर 7% हो गई, जो 2019 के बाद सबसे ज्यादा है।
2- UPI वाले बैंकों में कार्डलेस कैश विड्राल
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यूपीआई का उपयोग करने वाले सभी बैंकों और एटीएम नेटवर्क पर कार्डलेस नकद निकासी की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। दास ने यह भी कहा कि भारत बिल भुगतान प्रणाली संचालन इकाइयों के लिए निवल मूल्य की आवश्यकता को 100 करोड़ रुपये से घटाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
3- कुछ साल बाद लिक्विडटी कम करेंगे
दास ने कहा कि RBI कुछ साल की अवधि में तरलता वापस लेगा। RBI तरलता की क्रमिक, अशांकित निकासी करेगा। इसके अलावा 18 अप्रैल से बाजार खुलने का समय सुबह 9:00 बजे बहाल किया जाएगा। आरबीआई चालू खाते के घाटे को स्थायी स्तर पर देखता है। दास का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार 606.5 अरब डॉलर है। दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि को कायम रखने के लिए केंद्रीय बैंक ने अपने नरम रुख में थोड़ा बदलाव किया है।
क्या है रेपो दर
रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई, 2020 को रेपो दरों में बदलाव किया था। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर को भी 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। रेपो दर वह दर है जिसपर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है। जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत बैंकों को अपना पैसा आरबीआई को देने पर ब्याज मिलता है।