गलवान घाटी में भारतीय जवानों की शहादत पर कांग्रेस ने पूछे पांच सवाल

जयपुर। चीनी सैनिकों द्वारा लद्दाख की गलवान घाटी में किए गए हमले में शहीद हुए भारतीय जवानों की शहादत पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और संगठन महासचिव तथा राजस्थान से राज्यसभा उम्मीदवार केसी वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार से पांच सवाल पूछते हुए कहा कि पूरा देश वीर सैन्य अफसरों तथा सैनिकों की शहादत पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ अत्यंत पीडित और आक्रोशित है।
सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा जब-जब राष्ट्रहित से खिलवाड़ करती है, जब जब देशहित से समझौता करती है तब चीन से लड़ने की बजाए कांग्रेस से लड़ती हैं। यह राष्ट्र धर्म नही। इन निंदनीय प्रयासों का न केवल हम खंडन करते हैं पर अनुरोध करेंगे की देश को भटकाए मत, सच बताएं, देश को विश्वास में लें। सुरजेवाला और वेणुगोपाल ने गुरुवार को यहां एक होटल में पत्रकारों से वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री से पांच सवाल किए। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि हमारे जांबाज सैन्य अधिकारी व सैनिकों को दुश्मन के पास निहत्थे क्यों भेजा गया और किस हुक्मरान ने हमारे सैन्य अधिकारी व सैनिकों को यह आदेश दिया।
उन्होंने कहा कि जब हमारे सैन्य अधिकारी व सैनिकों को बगैर हथियार भेजा जा रहा था, तो आर्मी प्रोटोकॉल के अनुरूप उनकी सुरक्षा के लिए हथियारबंद ‘बैकअप फोर्स’ क्यों उपलब्ध नहीं थी और यदि बैकअप फोर्स थी, तो उसे क्यों नहीं भेजा गया। साथ ही चीन के शत्रुतापूर्ण मंसूबों व हमारे शूरवीरों पर षडयंत्रकारी तौर से हमला करने के बारे अग्रिम जानकारी व सूचना सरकार के पास क्यों नहीं थी। सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या चीन की मंशा समझने में भारी चूक केंद्रीय सरकार व उनके नेतृत्व की घोर विफलता का प्रतीक तो नहीं है।
सुरजेवाला ने कहा कि चीन ने अक्षम्य अपराध किया है। चीनी सैनिकों ने लोहे की रॉड, डंडों व अन्य हथियारों से जानबूझकर हमारे जांबाज सैन्य अधिकारी व सैनिकों पर हमला किया।
वेणुगोपाल ने कहा कि 130 करोड़ देशवासियों का मन यह सोचकर कांप उठता है कि जिस निर्दयता और निमर्मतापूर्वक तरीके से हमारे वीर जवानों को चीन द्वारा शहीद किया गया, वह सबसे अधिक आवेशित करने वाली, नामंजूर व तकलीफदेह बात है। उन्होंने कहा कि आज हर मन इस बात से बेहद व्यथित है कि दिल्ली के हुक्मरानों की कूटनीतिक चूक की कीमत देश को सैन्य अधिकारी व सैनिकों की शहादत से चुकानी पड़ी।
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