नई दिल्ली। भारत ने कोरोना संक्रमितों में ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है। अब अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा केस भारत में ही है। यह सिलसिला जारी रहा तो भारत जल्द ही दुनिया का सबसे ज्यादा कोविड-19 केस वाला देश बन जाएगा। ऐसी स्थिति में सरकार ने भी हालात काबू करने के लिए प्रयासों में तेजी ला दी है।
रूस और चीन ने तो फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे आने से पहले ही अपने-अपने वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। इसे देखते हुए भारत सरकार की नजर भी रूसी वैक्सीन पर है। रूस से वैक्सीन के ट्रायल्स से जुड़ा डेटा मांगा गया था। हो सकता है कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन की ही तरह गामालेया के वैक्सीन का भी भारत में ट्रायल हों। इससे जल्द से जल्द वैक्सीन मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
भारत ने मांगा था रूस से डेटा
- मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के कोरोना वैक्सीन SPUTNIK V को शक की नजर से देखा जा रहा था। वजह थी डेटा का उपलब्ध न होना। मेडिकल जर्नल लैंसेट ने इसके ट्रायल्स के नतीजे प्रकाशित किए हैं।
- लैंसेट में प्रकाशित स्टडी के अनुसार SPUTNIK V इफेक्टिव है और सेफ भी। लैंसेट में प्रकाशित करने के बाद रूसी रिसर्च इंस्टिट्यूट ने भारतीय अधिकारियों से वैक्सीन ट्रायल्स का डेटा शेयर किया है। लैंसेट में छपी स्टडी के मुताबिक वैक्सीन का ट्रायल्स 76 लोगों पर किया गया और इसने उनमें इम्यून रिस्पॉन्स को ट्रिगर किया है।
- रूस में भारतीय राजदूत डीबी वेंकटेशन वर्मा के साथ-साथ बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप ने इस पूरे डेटा ट्रांसफर को कोऑर्डिनेट किया है। गामालेया से मिले कॉम्प्रिहेंसिव डेटा का मूल्यांकन भारत में एक्सपर्ट कर रहे हैं। रेग्युलेटर्स से जरूरी अनुमतियां लेकर भारत में भी फेज-3 ट्रायल्स हो सकते हैं।
- SPUTNIK V की अधिकृत वेबसाइट के मुताबिक रूस की योजना सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील और फिलीपींस में इस वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स की है। यह भी लिखा है कि भारत समेत 20 देशों ने वैक्सीन में रुचि दिखाई है।
इसी हफ्ते से रूस में जनता को मिलने लगेगा वैक्सीन
- रूसी मेडिकल वॉच डॉग इसी हफ्ते वैक्सीन की क्वालिटी चेक करेगा और 13 सितंबर से पहले अप्रूवल दिया जा सकता है। इसके बाद सरकार इस वैक्सीन को सिविलियन इस्तेमाल के लिए अधिकृत कर देगी।
- रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेस के एसोसिएट मेंबर डेनिस लोगुनोव ने कहा कि ज्यादातर देश अब भी वैक्सीन के जांच के विभिन्न स्टेज पर है, लेकिन रूस इसी हफ्ते सिविलियन यूज के लिए अपना वैक्सीन SPUTNIK V अप्रूव कर देगा। इसी हफ्त पहला बैच भी रिलीज हो जाएगा।
15 सितंबर तक आएंगे वैक्सीन के शुरुआती डेटा
- दुनियाभर में 175 से ज्यादा वैक्सीन बन रहे हैं। इसमें भी करीब 35 वैक्सीन ऐसे हैं जो क्लिनिकल ट्रायल्स के फेज में हैं। यानी इनके फेज 1, फेज 2 या फेज 3 ट्रायल्स चल रहे हैं।
- आठ वैक्सीन कैंडिडेट्स फेज-3 ट्रायल्स में हैं। ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका का कोवीशील्ड सबसे आगे है। इसके ट्रायल्स भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में शुरू हो चुके हैं।
- यूके के दवा निर्माता ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के साथ एक बिलियन डोज बनाने की डील की है।
- एसआईआई ने पिछले हफ्ते फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स शुरू किए। 1,600 वॉलंटियर एनरोल होंगे। एस्ट्राजेनेका ने अमेरिका में भी ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं। वहां भी 30 हजार वॉलंटियर को शामिल किया जाएगा। जल्द ही रूस और जापान में भी ट्रायल्स शुरू होंगे।
सिनोवेक ने कर्मचारियों और उनके परिवारों को लगाया वैक्सीन
- चीन ने सिनोवेक के साथ-साथ सरकारी फर्म सिनोफार्म और कैनसिनो बायोलॉजिक्स के वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दे रखी हैं। हालांकि, इन तीनों ही वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे अब तक नहीं आए हैं।
- इस बीच, सिनोवेक के सीईओ के हवाले से खबरें आ रही है कि कंपनी के 90 प्रतिशत स्टाफ और उनके परिवार को वैक्सीन लगाया गया है। भले ही दावा किया जा रहा हो कि वैक्सीन स्वैच्छिक आधार पर लगाया गया है, नंबर सामने नहीं आए हैं।
- सिनोवेक वैक्सीन को CoronVac कहा जा रहा है, और इसे जुलाई में ही इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जा चुकी है। फेज-3 ट्रायल्स ब्राजील और इंडोनेशिया में शुरू हुए हैं। 34 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स फेज में हैं, उनमें 8 चीनी हैं।