लखनऊ। उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन द्वारा घटिया पीपीई किट सहित अन्य बेईमानी के संबंध में पीएमएस ऑफिसर वेलफेयर एसोसियेशन के महासचिव डॉ. आर के सैनी की याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह कहते हुए खारिज की है, कि सरकार को प्रत्यावेदन नहीं दिया गया है। जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल तथा जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने यह आदेश याची की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर, राज्य सरकार के अधिवक्ता अमिताभ रॉय तथा सप्लाई कारपोरेशन के अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी को सुनने के बाद दिया।
नूतन ने कोर्ट को बताया कि सप्लाई कारपोरेशन द्वारा अस्पतालों की जरूरतों के विपरीत मनमाने तरीके से दवाओं की खरीद करने, खरीद में भ्रष्टाचार करने, चुनिंदा ठेकेदारों को प्रश्रय देने, बार-बार अधिमानक दवा की आपूर्ति के बाद भी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट नहीं करने की शिकायतें लगातार आती रही हैं। हाल में घटिया पीपीई किट की आपूर्ति की शिकायत भी आई है। उन्होंने एक उच्चस्तरीय समिति बना कर इन भ्रष्टाचारों की जांच करवाए जाने की प्रार्थना की।
विपक्षी अधिवक्ताओं ने जनहित याचिका के नियमों का पालन नहीं होने, बिना ठोस अभिलेखों के शिकायत करने तथा राज्य सरकार को कोई प्रत्यावेदन दिए बिना याचिका दायर करने के आधार पर इसका विरोध किया। कोर्ट ने इन आपत्ति को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। नूतन ने बताया कि इन बिन्दुओं पर राज्य सरकार को जांच के लिए प्रत्यावेदन भेजा जा रहा है।