कानपुर। कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में मनमानियाँ अपनी चरम सीमा पर हैं । यह मजबूती से जमे एक रैकेट के जाल इतने गहरे हैं कि उनके लिए शासनदेश की धज्जिया उड़ाना रोजमर्रा का काम बन गया है। शासनदेशों की अवहेलना का संज्ञान इस बार भारत सरकार के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने लेते हुए कानपुर के मंडलायुक्त को एक पत्र लिख कर जांच करने की बात कही है।
हरदीप पुरी ने 26 जून 2020 के अपने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार द्वारा प्रयोगशाला के आधुनिकीकरण के 25 लाख रुपये दिए गए थे जिसकी कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम थी । इस संस्था को एक किश्त में धनराशि अवमुक्त भी कर दी गई मगर यहाँ कार्यरत डा विजय कुमार यादव ने 17 लाख की दूसरी किश्त को अपने स्तर से ही मूल कार्यदाई संस्था को न दे कर उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कार्पोरेशन लिमिटेड को भुगतान करा दिया।
हरदीप पुरी ने अपने इस पत्र में यह भी लिखा है कि कोविद के इस कठिन समय में जब संस्थान को सकारात्मक कार्य कराने चाहिए थे तब डा विजय कुमार ने कुलपति से मिल कर 20 लाख रुपये से बंगले और कार्यालय की लिपाई पुताई उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कार्पोरेशन से करा डाली जबकि यह संस्था इस कार्य के लिए नामित ही नहीं थी।
इसी तरह डा. विजय कुमार यादव ने मनमाने ढंग से एक नियुक्ति भी कर दी , जिसका जिक्र हरदीप पुरी ने अपने पत्र में जिक्र किया है ।
केन्द्रीय मंत्री ने अब कानपुर के कमिश्नर से इस मामले की जांच कर कठोर कार्यवाही करने को कहा है । लेकिन देखने वाली बात होगी कि आकंठ भ्रष्टाचार ने डूब चुके इस विश्वविद्यालय में यह जांच कितनी सही हो सकेगी।
जुबिली पोस्ट पहले भी यहाँ नियम विरुद्ध काम कर रहे कृषि वैज्ञानिकों की कारगुजारियाँ सामने ला चुका है।