लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भले ही चुनाव में वक्त हो लेकिन राजनीतिक दल अभी से 2022 चुनाव के लिए जुट गए है। सपा-बसपा दो ऐसे दल है जो यूपी के चुनावी दंगल में मजबूत दावेदारी पेश करनी की बात करते हैं लेकिन सपा-बसपा के आलावा कांग्रेस भी अब यूपी में पहले से ज्यादा मजबूत लग रही है। असल में कांग्रेस में प्रियंका गांधी ने नई जान फूंक दी है। हालांकि अखिलेश यादव सपा को मजबूत करने के लिए अभी जुट गए है।
इतना ही नहीं योगी सरकार को लगातार अखिलेश घेर रहे हैं। उधर सपा से अलग होकर अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने भले ही नई पार्टी बना डाली हो लेकिन उनका सपा प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
15 अगस्त उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि सभी समाजवादी फिर एक हो जाएं और इसके लिए वह त्याग करने को भी तैयार हैं। हालांकि शिवपाल के इस बयान के बाद सपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। शिवपाल यादव ने गुरुवार को भी एक बार इसी तरह का बयान दिया है।
उन्होंने कहा है कि सभी समाजवादी एक मंच पर आएं ऐसी इच्छा है। उन्होंने कहा कि वैचारिक मतभेद के बावजूद मेरा किसी से मनभेद नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए लोहियावादियों, गांधीवादियों, चरणसिंह वादियों और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक मंच पर आना होगा।
मैंने पहले भी सभी समाजवादी विचारधारा के दलों को एक करने की कोशिश की थी। शिवपाल यादव ने चेताया है कि अगर विपक्ष संघर्ष के लिए तैयार नहीं होगा तो रास्ता बहुत कठिन होगा. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के लिए मुझे कुछ अलग से कहने की जरूरत नहीं है। सपा संघर्ष के दम पर बनी थी और उम्मीद है कि आने वाली पीढिय़ां भी संघर्ष का रास्ता चुनेंगी।
दूसरी ओर अखिलेश यादव एक बार फिर यूपी में अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठन में कई तरह के बदलाव भी कर चुके हैं। मुलायम अपनी सेहत की वजह से पार्टी में अब पहले जैसे सक्रिय नहीं है। ऐसे में अखिलेश यादव के ऊपर पार्टी की पूरी जिम्मेदारी है। अब अगर शिवपाल यादव दोबारा पार्टी में शामिल होते हैं तो सपा को फायदा मिल सकता है। अब देखना होगा कि शिवपाल यादव के बार-बार कहने पर अखिलेश मान जाएगे।