नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच कश्मीर में लोगों की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि एक तरफ देश में पिछले 55 दिनों से तालाबंदी है और लोगों की हालत खराब है। वहीं पिछले दस माह से नजरबंद महबूबा मुफ्ती और उनके सहयोगियों को लेकर क्या कहा जाए। ऐसा लगता है कि न्याय व्यवस्था ने भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है।
पी. चिदंबरम ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ’18 मई से देश में लॉकडाउन 4.0 शुरू हुआ है। लेकिन मैं कश्मीर को लेकर चिंतित हूं, जहां लॉकडाउन के पहले से लॉकडाउन लगा हुआ है। सबसे ज्यादा पीड़ित महबूबा मुफ्ती और उनके सहयोगी हैं, जो वायरस संक्रमण के लड़ने के लिए जारी लॉकडाउन वाले देश में अलग तरह की तालाबंदी झेल रहे हैं। वो मानव अधिकारों से भी वंचित हैं।’
कांग्रेस नेता ने लॉकडाउन के हालात को कश्मीर से जोड़ते हुए कहा कि कम से कम अब, शेष भारत में लोग उन लोगों (कश्मीरियों) के साथ किए गए अन्याय की व्यापकता को समझेंगे, जिन्हें हिरासत में लिया गया था और जो अब भी हिरासत में ही हैं।’
इस दौरान चिदंबरम ने न्यायपालिका पर जिम्मेदारियों से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि “मुझे विश्वास नहीं होता कि कैसे न्यायालय पिछले दस महीने से नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य से भाग रहा है।