नई दिल्ली। गलवान में भारतीय सैनिकों की शहादत और चीनी सैनिकों के हमले पर बुलाई गई ऑल पार्टी मीटिंग में सरकार को ज्यादातर दलों का साथ मिला। इस मीटिंग में 20 दलों को बुलाया गया। इनमें से 10 दलों ने खुलकर सरकार का साथ दिया और कहा कि इस वक्त में हम सभी एकसाथ हैं। इनमें तृणमूल, जदयू, बीजद जैसे दल शामिल थे।
शिवसेना चीफ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि भारत मजबूत है, मजबूर नहीं। उन्होंने चीन के लिए कहा कि हमारी सरकार में ताकत है कि वह आंखें निकालकर हाथ में दे दे।
केवल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार से सवाल किए। उन्होंने इंटेलीजेंस रिपोर्ट, सैटेलाइट इमेज के बारे में मोदी से जानकारी मांगी।
सोनिया के तीन सवाल
1. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इस बैठक को काफी पहले होना चाहिए था। इस मंच पर भी काफी कुछ अंधेरे में ही है। मोदी सरकार बताए कि चीन के सैनिकों ने घुसपैठ कब की? सरकार को इस बारे में कब पता चला?
2. कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि क्या सरकार के पास सैटेलाइट इमेज नहीं थी? इन असामान्य गतिविधियों के बारे में कोई इंटेलीजेंस रिपोर्ट नहीं मिली थी?
3. माउंटेन स्ट्राइक कोर की मौजूदा स्थिति क्या है? देश यह भरोसा चाहता है कि सीमा पर पहले जैसे हालात स्थापित हो जाएंगे। विपक्षी पार्टियों को इस बारे में लगातार जानकारी दी जाए।
इन दलों ने सरकार का साथ दिया, कहा- चीनियों को नहीं घुसने देंगे
1. तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक देश के लिए अच्छा संदेश है। इससे यह जाहिर होता है कि हम अपने जवानों के साथ हैं और एक हैं। तृणमूल मजबूती से सरकार के साथ खड़ी है। टेलीकॉम, रेलवे और एविएशन में चीन को दखल नहीं देने देंगे। हमें कुछ समस्याएं आएंगी, पर हम चीनियों को नहीं घुसने देंगे।
ममता ने कहा- चीन कोई लोकतंत्र नहीं है। वे वह कर सकते हैं, जैसा महसूस करते हैं। दूसरी तरफ हम सबको साथ मिलकर काम करना है। भारत जीतेगा, चीन हारेगा। एकता से बात करें, एकता की बात करें, एकता से ही काम करें।
2. जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि पूरे देश में चीन के खिलाफ गुस्सा है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। हम साथ हैं। राजनीतिक दलों को कोई मतभेद नहीं दिखाना चाहिए, जिसका दूसरे देश फायदा उठा सकें। भारत के प्रति चीन का नजरिया जाहिर है। भारत चीन को सम्मान देना चाहता है, लेकिन उसने 1962 में क्या किया।
नीतीश ने कहा- भारती बाजार में चीनी सामान की बाढ़ बहुत बड़ी समस्या है। हमें एक साथ रहना है और केंद्र को सपोर्ट करना है।
3. शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चीनी सैनिकों के हमले पर तल्ख बयान दिया। ऑल पार्टी मीटिंग में उन्होंने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कमजोर हैं। चीन का चरित्र ही धोखा देना रहा है। भारत मजबूत है, मजबूर नहीं। हमारी सरकार के पास ताकत है कि वह आंखें निकाल कर हाथ में दे देगी।
4. समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि पाकिस्तान और चीन की नीयत सही नहीं है। भारत चीन का डंपिंग ग्राउंड नहीं है। चीन के सामानों पर भारत को 300% कस्टम ड्यूटी लगा देनी चाहिए।
5. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के चीफ और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा- हमें प्रधानमंत्री में पूरा भरोसा है। इससे पहले भी जब राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले उठे तो प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक फैसले लिए हैं।
6. टीआरएस चीफ और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा- कश्मीर में विकास के प्रधानमंत्री के एजेंडे से चीन भी खफा है। आत्मनिर्भर भारत का नारा भी चीन को परेशान कर रहा है।
7. डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा- जब भी देशभक्ति की बात आती है तो हम सभी एक हैं। प्रधानमंत्री ने चीन के मुद्दे पर हाल में जो बयान दिया है, हम उसका स्वागत करते हैं।
8. एनपीपी के कोनराड संगमा ने कहा कि सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने का काम नहीं रुकना चाहिए। म्यांमार और बांग्लादेश में चीन की गतिविधियां परेशान करने वाली हैं। उत्तर-पूर्व के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का जो काम प्रधानमंत्री कर रहे हैं, वो रुकना नहीं चाहिए।
9. बीजद के नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा- चीन ने इतिहास को दोहराया है। एक बार फिर उसने अंधेरे में कायरतापूर्वक हमारे सैनिकों पर हमला किया है। उन सैनिकों पर हमला किया, जो शांति का संदेश लेकर गए थे।
10. वाईएसआर कांग्रेस के चीफ और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कहा- प्रधानमंत्री ने भारत का कदम पूरी दुनिया में बढ़ाया है। उन्होंने पूरी दुिनया में अहम कूटनीतिक संधियां की हैं। प्रधानमंत्रीजी आप हमारी ताकत हैं। भारत से कई लोग जल भी रहे हैं। चीन भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।
राकांपा ने कहा- यह मसला संवेदनशील, इसका सम्मान करें
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हमें इस संवेदनशील मुद्दे का सम्मान करना चाहिए। सैनिक हथियार ले गए थे या फिर नहीं, यह फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत किया गया है।
सीपीआई के डी राजा ने कहा- हमें अमेरिका की उन कोशिशों का विरोध करना चाहिए, जिनके जरिए वो हमें अपने साथ मिलाना चाहता है।
चार क्राइटेरिया के आधार पर पार्टियों को इनविटेशन
न्यूज एजेंसी एएनआई के सूत्रों के मुताबिक, 4 क्राइटेरिया के आधार पर ऑल पार्टी मीटिंग के लिए इनविटेशन दिए गए थे।
पहला- सभी नेशनल पार्टी।
दूसरा- जिन पार्टियों के लोकसभा में 5 सांसद हैं।
तीसरा- नॉर्थ-ईस्ट की प्रमुख पार्टियां।
चौथा- जिन पार्टियों के नेता केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हैं। इसके आधार पर 20 पार्टी आज की मीटिंग में शामिल हुई हैं।
पिछली 2 ऑल पार्टी मीटिंग में राजनाथ सिंह ने अध्यक्षता की थी
देश की सीमाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर 6 साल में यह तीसरी ऑल पार्टी मीटिंग होगी। पिछले साल पुलवामा में आतंकी हमले के बाद 16 फरवरी 2019 को सभी पार्टियों की मीटिंग हुई थी। इससे पहले पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 29 सितंबर 2016 को हुई थी। इन दोनों मीटिंग की अध्यक्षता उस वक्त के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की थी।