चुनावी राज्यों में सीएम के साथ संगठन में भी फेरबदल कर रही भाजपा

नई दिल्ली। भाजपा चुनावी राज्यों में सीएम बदलने के साथ ही संगठनात्मक स्तर पर भी बड़े फेरबदल कर रही है। एक माह पहले ही बिहार बीजेपी में संयुक्त सचिव रत्नाकर को पार्टी ने गुजरात इकाई का महासचिव बनाया था। रत्नाकर ने भीखू भाई दलसानिया की जगह ली थी, जो इस पद पर सबसे लंबे समय तक बने रहे। वह वर्ष 2005 से 2021 तक महासचिव (संगठन) रहे और इस दौरान उनका बीजेपी के हर बड़े नेता के साथ उठना-बैठना रहा। अब दलसानिया को बिहार भेज दिया गया है।

बीजेपी के इस बड़े फेरबदल में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या का इस्तीफा भी अहम है। बेबी रानी एक दलित नेता हैं जो आगरा की मेयर भी रह चुकी हैं। ऐसी चर्चा है कि अब पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश में अहम जिम्मेदारी दे सकती है।

भाजपा संगठन में बीते साल नवंबर माह में बड़े फेरबदल हुए थे। चुनाव के अच्छे अनुभव वाले, जांचे-परखे नेताओं को अहम राज्यों की कमान सौंपी गई थी। इसलिए राधा मोहन सिंह को यूपी का प्रभारी बनाया गया, भूपेंद्र यादव को गुजरात और अरुण सिंह को कर्नाटक का जिम्मा दिया गया।

प्रभारी के पदों पर कुछ नए चेहरों को भी भाजपा ने शामिल किया है। इनमें गोवा के सीटी रवि, उत्तराखंड और पंजाब के दुष्यंत गौतम, त्रिपुरा के विनोद सोनकर, हिमाचल प्रदेश के अविनाश राय खन्ना और मणिपुर के संबित पात्रा भी शामिल हैं।

भूपेंद्र यादव और सुधीर गुप्ता को जहां गुजरात का सह-प्रभारी बनाया गया है तो वहीं गुप्ता को यूपी के कानपुर क्षेत्र में इलेक्शन इंचार्ज की जिम्मेदारी भी दी गई है।

यूपी में राधा मोहन सिंह के अंतर्गत सत्य कुमार, सुनील ओझा और संजीव चौरसिया को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें पीएम मोदी का करीबी तो माना ही जाता है, साथ में चुनावी प्रबंधन में महारत के लिए भी जाना जाता है। सत्य कुमार को तो हर उस चुनावी राज्य में नियुक्त किया जाता है जहां जंग मुश्किल मानी जाती है।

इस साल जनवरी में पीएमओ में पूर्व नौकरशाह अरविंद कुमार शर्मा को यूपी भाजपा इकाई में बिना शोर-शराबे के शामिल किया गया था। शर्मा अब विधान परिषद के सदस्य हैं और फिलहाल राज्यभर में घूमकर वह पार्टी के लिए फीडबैक लाने का काम कर रहे हैं।

उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष को भी इसी साल मार्च में बदला गया था। मदन कौशिक की जगह बंसीधर भगत को कमान सौंपी गई थी। वहीं, जून में पार्टी ने शारदा देवी को मणिपुर का नया अध्यक्ष बनाया था क्योंकि पूर्व अध्यक्ष एस टीकेंद्र की कोरोना से मई में मौत हो गई थी।

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