वाशिंगटन। चीन एक तरफ जहां अपने पड़ोसी देशों के साथ लगातार उकसावेपूर्ण कार्रवाई कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उसके घर में घेरने की रणनीति बनाई जा रही। अमेरिका लगातार अपने सहयोगी देश जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया के साथ एक तरफ जहां संयुक्त नौसैन्य अभ्यास कर रहा है तो वहीं बीजिंग को चेतावनी भी दे रहा है।
अंडमान की खाड़ी में दो दिनों के संयुक्त अभ्यास में अमेरिकी सुपरकरियर यूएसएस निमित्ज के साथ भारत के चार नौसेना के जहाजों ने हिस्सा लिया। वहीं एक अन्य सुपरकरियर यूएसएस रोनाल्ड रेगन ने 4 हजार किलोमीटिर दूर विवादित दक्षिण चीन सागर के सामने ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ इसी तरह का संयुक्त अभ्यास किया। अपने पड़ोसियों पर लगातार दबाव बनाते आ रहे चीन की तरफ से इस नौसैन्य अभ्यास को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
अमेरिका दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के खिलाफ सामने आया है जो इससे आगे जाकर एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर रहा है ताकि लड़ाकू चीन से हिंद प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित कर सके। दो संयुक्त अभ्यास इस बात का प्रमाण है कि भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित रखने में अमेरिका का प्रधान सहयोगी होगा जबकि जापान और ऑस्ट्रेलिया की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
अमेरिका के रक्षामंत्री मार्क टी. एस्पर की तरफ से मंगलवार को दिया गया उनका बयान चीन को मुख्य केन्द्र में ला दिया है। एस्पर ने बताया कि अमेरिकी सुपरकरियर का दक्षिण चीन सागर में और उसके आसपास मौजूदगी “दोस्त और साझेदारों की संप्रभुता की रक्षा के लिए है और यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि हम उन्हें वहां पर चीन के बुरे व्यवहार से बचाएंगे।”
दो संयुक्त अभ्यास के दौरान जिन चार देशों के नौसैनिकों ने हिस्सा लिया, ये हैं- अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया। ये सभी भारत के नेतृत्व में मालाबार नौसैन्य अभ्यास के दौरान नवंबर में हिंद प्रशांत क्षेत्र में हिस्सा लेंगे। ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद है कि जल्द इसके लिए औपचारिक तौर पर न्यौता भेजा जाएगा।
मिलिट्री कमांडर ने चार देशों के क्वाड्रिलैट्रर सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) का संदर्भ देते हुए कहा- ये क्वाड अभ्यास होगा। क्वाड में अहम भूमिका निभा रहा अमेरिका, चीन के खिलाफ धुरी बन गया है, जो हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना के साथ और दक्षिण चीन सागर के पास फिलिपिन्स समुद्र में जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अभ्यास कर रहा है। मार्क एस्पर ने कहा कि हिंद महासागर में अभ्यास मुक्त और नौसेना के सहयोग को बढ़ाने और खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र के प्रति भारत और अमेरिका की साझा प्रतिबदिधता को जाहिर करता है।