बांदा। अगर आपके परिवार में किसी सदस्य की जिंदगी खतरे में है,उसे तत्काल खून की आवश्यकता है, तो आप घबराइए मत व्हाट्सएप में रेड क्लब के नाम से चल रहे ग्रुप में अपना मैसेज भेज दीजिए पलक झपकते आपके पास रक्त दाता पहुंच जाएगा और बिना किसी संकोच के मरीज को रक्तदान कर मुस्कुराते हुए वापस घर चला जाता है।
इस क्लब की स्थापना शहर के समाजसेवी सचिन चतुर्वेदी और श्याम जी निगम ने की थी। आज इस क्लब में साढे तीन सौ स्वैच्छिक रक्तदाता हैं जो सोशल मीडिया में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से रेड क्लब से जुड़े हैं। इस ग्रुप में जरूरतमंद का मैसेज पहुंचते ही स्वैच्छिक रक्तदाता स्वेच्छा से रक्तदान करने को तैयार हो जाते हैं।वैसे तो हर महीने कम से कम 30 यूनिट रक्तदान रक्तदाता करते थे, लेकिन इधर लॉकडाउन के दौरान मरीजों का इलाज न होने से पिछले दो महीनों में रक्तदान कम हुआ है,लेकिन किसी भी व्यक्ति को निराश नहीं होना पड़ा, जिसे जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में भी खून नहीं मिला उसे रेड क्लब से जरूर मिल जाता है।
ग्रुप से डाॅक्टर भी जुडे
रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता, आपकी खून की चंद बूंदे किसी घर का चिराग बुझने से बचा जा सकता है, परोपकार करना वीरों का गहना। ये चंद पंक्तियां भी रेड क्लब के युवाओं का जोश बढ़ाती है।इसी ग्रुप में शामिल संजय निगम अकेला बताते हैं कि किसी जरूरतमंद को रक्त देने का सिलसिला रेड क्लब इंसानियत के प्रेमियों के द्वारा लगातार चलते रहना चाहिए, क्योंकि एक यूनिट ब्लड देने से हमारा रक्त पावरफुल और इम्यूनिटी सिस्टम तो अच्छा होता ही है साथ ही किसी की जीवन की रक्षा भी होती है, इसलिए हम अपने साथियों से आग्रह करते हैं कि कोई भी मैसेज आए अगर उनको ब्लड दिए हुए 4 महीने से ऊपर हो गए हैं तो बिना संकोच के तुरंत पहुंच कर रक्तदान करें।
यही हमारे रेड क्लब और जोशीले युवाओं का उद्देश्य भी है। संजय निगम ने बताया कि हमारे ग्रुप में शहर के सारे डॉक्टर से जुड़े हैं उनके यहां जब किसी मरीज को खून की आवश्यकता होती है तो वह मरीज को हमारे ग्रुप का नंबर दे देते हैं और फिर मरीज के मैसेज के अनुसार ग्रुप में संदेश डाला जाता है।जिसके माध्यम से रक्तदाता अस्पताल पहुंचता है और बताए गए डॉक्टर से मिलकर रक्तदान करता है।
आप ही बचा सकते हैं किसी की जिंदगी
इसी ग्रुप के सदस्य अरुण निगम का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान एक महिला मनु ब्लड की कमी से जिंदगी और मौत से जूझ रही थी।जब मुझे एक पडोसी महिला से पता चला वह जिला अस्पताल के वार्ड नंबर 12 में है। उसके रिश्तेदार भी वहां नहीं है, क्योंकि लॉकडाउन के कारण कहीं और फंसे है।मैंने स्वयं ब्लड देने की बात कही लेकिन बाद में पता चला कि उसका बी पॉजिटिव ग्रुप है।मैंने उसे आश्वासन देते हुए कुछ करने को कहा,बस मैंने फौरन अपने मित्र रेड क्लब के सचिन चतुर्वेदी को पूरी बात बताई, एक भी पल की देरी किए बिना सचिन ने कहा कि कब और कहां आना है मुझे।
हम लोग जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में बिना किसी देरी के पहुंच गए, डर यह था कि हमारे पास लाॅक डाउन में निकलने की कोई अनुमति ही नहीं थी। बावजूद इसके जिला अस्पताल में मास्क, सैनिटाइजर से लैस होकर हम लोग पहुंच गए जहां बीमारी से जूझ रही मनु की आंखों में हम लोगों को देखते ही आंसू भर आए। मनु की पड़ोसन को जब पता चला कि हम ब्लड देने आए हैं तो वह हमारा शुक्रिया अदा करने लगी। हमने तत्काल उसकी बात को काटते हुए कहा शुक्रिया अदा करना है तो रेड क्लब कीजिए ,जिसने एक बार कहने पर भी ऐसे माहौल में बिना किसी देरी के अपना फर्ज अदा किया।
ऐसे ही रक्त दाताओं की रेड क्लब में लंबी फेहरिस्त है। जो बिना किसी हिचकिचाहट के रक्तदान कर जिंदगी और मौत से जूझ रहे लोगों की जान बचाते हैं। रक्तदान कर हर साल हजारों मरीजों की जान बचाने वाले रेड क्लब के कर्मवीरों मे सचिन चतुर्वेदी, श्याम जी निगम, संजय निगम अकेला अभिषेक सिंह इत्यादि का हर वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस पर सम्मान किया जाता है। यह रेड क्लब समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन भी करता है ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद मरीजों को खून उपलब्ध कराया जा सके।