नई दिल्ली। अगर आप सोंच रहे है कि 30 मई से लॉक डाउन हट जाएगा, तो आप गलत सोंच रहे है। यह वैक्सीन आने तक या मामले कम होने पर ही निर्भर करेगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि 3 अप्रैल तक नए केस की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा था। ग्रोथ रेट 22.6% था, लेकिन इसके बाद इसमें कमी आना शुरू हुई। आज ग्रोथ रेट घटकर 5.5% हो गया है। यह राहत की बात है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि अभी ग्रोथ रेट में काफी कमी आई है। अगर उसी ग्रोथ रेट से मामले बढ़ते तो हालत गंभीर होती।
वहीं कोरोना वायरस को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से लॉक डाउन लागू कर रखा है। लॉक डाउन 4.0 की मियाद 31 मई को पूरी होगी। माना जा रहा है कि जिस तरह से संक्रमित मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे है उसे देखते लॉक डाउन को आगे भी जारी रखा जाएगा।
हालांकि उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि लॉक डाउन को खोल देना चाहिए। अगर ऐसा नही किया गया तो अर्थव्यवस्था को संभालना मुश्किल हो जाएगा।
दूसरी ओर स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लॉक डाउन नही बढ़ाया गया तो भविष्य में और भी कठिन समय आ सकता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर गिरिधर बाबू का दावा है कि देश में जारी लॉकडाउन इस महीने के अंत के बाद नहीं बढ़ाया जाता है, तो देश में कोरोना मामलों की संख्या जुलाई मध्य में चरम पर पहुंच सकती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दो महीने तक कंटेनमेंट जैसे उपायों के कारण लॉकडाउन हटाने के बावजूद कोरोना मामलों में अपेक्षाकृत कम संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर गिरिधर आर बाबू ने कहा- यदि 30 मई को लॉकडाउन को हटा लिया जाता है तो तीन इनक्यूबेशन अवधि यानी जुलाई मध्य तक कोरोना मामले अपने चरम पर पहुंच जाएंगे, फिर लोगों को पता चलेगा कि यह बगैर नियंत्रण के यह बीमारी किस तरह फैलती है।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार (21 मई) को कहा कि भारत में कोविड-19 के कारण मृत्युदर 3.06 है, जबकि वैश्विक मृत्युदर 6.65 है। मंत्रालय ने इसके लिए समय पर मामलों की पहचान और उचित क्लीनिकल प्रबंधन को श्रेय दिया। देश में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के मामलों की संख्या बढ़कर 1,12,359 हो गई, जबकि इसके कारण जान गंवाने वालों की संख्या 3,435 पर पहुंच गई।
मंत्रालय ने कहा कि मृत्यु के मामलों के विश्लेषण से पता चलता है कि संक्रमण से मरने वालों में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं हैं। मृतकों को आयु के आधार पर बांटते हुए मंत्रालय ने बताया कि मौत के 0.5 प्रतिशत मामले 15 साल से कम आयु के बच्चों के हैं, 2.5 प्रतिशत मामले 15 से 30 साल की उम्र के बीच के, 11.4 प्रतिशत मामले 30 से 45 साल के बीच के, 35.1 प्रतिशत मामले 45-60 आयुवर्ग के और 50.5 प्रतिशत मामले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के हैं।
मंत्रालय ने बताया कि मौत के 73 प्रतिशत मामलों में अन्य गंभीर बीमारियां भी साथ थीं। 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और अन्य बीमारियां वालों को कोविड-19 के लिहाज से उच्च जोखिम वाले समूह में रखा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”संक्रमण के मामलों में भारत में मृत्युदर 3.06 प्रतिशत है, जो वैश्विक मृत्युदर 6.65 प्रतिशत की तुलना में बहुत कम है। यह समय पर मामलों का पता लगाने और उनके उचित क्लीनिकल प्रबंधन की दिशा में हमारे प्रयासों को दर्शाता है।”