लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व जौनपुर के मल्हनी सीट से विधायक पारसनाथ यादव का शुक्रवार को निधन हो गया। वह लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। जौनपुर शहर स्थित आवास पर उन्होंने दोपहर बाद अंतिम सांस ली।
पारसनाथ यादव तीन बार मंत्री, दो बार सांसद और सात बार विधायक रहे हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्य के साथ मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी थे। उनके परिवार में तीन पुत्र हैं। उनके निधन की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में सपा व अन्य दलों के नेता, कार्यकर्ता उनके आवास पर शोक संवेदना प्रकट करने पहुंचे।
उप्र विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने पारसनाथ यादव के असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि पारसनाथ यादव एक जनप्रिय नेता थे। वह अपने क्षेत्र में बहुत ही लोकप्रिय थे। विधान सभा अध्यक्ष ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वह दिवंगत आत्मा को चिर-शान्ति व शोकाकुल परिवार को इस अपार दुःख को सहन करे की शक्ति प्रदान करें।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पारसनाथ के निधन पर शोक जताते हुए उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने की बात कही है। पारसनाथ सपा के दिग्गज नेता होने के साथ जमीन से जुड़े हुए थे। वह 1972 में जौनपुर के बरसठी ब्लॉक के गहरपुर ग्राम सभा से पहली बार ग्राम प्रधान चुने गए थे। वहीं 1977 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बने। वर्ष 1984 में पहली बार बरसठी विधानसभा से विधायक हुए। वहीं 1998 और 2004 में लोकसभा में उन्होंने जौनपुर का प्रतिनिधित्व किया।
राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
स्व. पारस नाथ यादव अपने गांव कारो बनकट तहसील मड़ियाहू से राजनीति का सफर आगे बढ़ते हुए सन् 1985 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लोकदल के बैनर तले जिले के बरसठी विधान सभा से लड़े और विधायक बने। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार एक—एक कर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चले गये और जीवन के अन्तिम समय तक बतौर जन प्रतिनिधि अन्तिम सांस लिए हैं। सन् 1985 से अब तक स्व. पारस नाथ 7 बार विधायक एवं 4 बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। इसके अलावा 2 बार देश की सर्वोच्च पंचायत लोकसभा के सदस्य के रूप रहे है।
पारसनाथ यादव का जन्म 12 जनवरी 1949 को बरसठी थाना क्षेत्र के निगोहा तहसील अंतर्गत कारोबनकट गांव में हुआ था। पहली बार ये 1985 में लोकदल पार्टी से बरसठी से विधायक चुने गए। 1989 में इन्हें बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया। 2002 में वैकल्पिक ऊर्जा राज्य मंत्री बनाए गए, जबकि 2012 में कैबिनेट मंत्री के दौरान इन्हें उद्यान एवं पशुधन मंत्री बनाया गया था।
अपने राजनैतिक जीवन में जनता के हितों की लड़ाई लड़ने वाले नेता पारस नाथ ने कभी दबकर राजनीति नहीं किये और जनपद से लेकर प्रदेश तक सरकारी महकमों में एक अलग हनक और छबि थी। जनता की सेवा के लिए अनवरत संघर्षरत रहते थे। यही कारण है कि तमाम विषम परिस्थितियों में जनता के बीच लोकप्रिय थे और चुनाव की जंग में विजय का पताका फहराते रहे है।
मुलायम सिंह यादव के बेहद करीब रहे स्व.पारस नाथ
मुलायम सिंह के सीएम रहते हुए पारस नाथ मिनी मुख्यमंत्री कहे जाते रहे हैं। इनकी मुलायम सिंह यादव परिवार की नजदीकियों इन्हें जिला ही नहीं प्रदेश के नेताओं में स्थापित कर रखी थी। सन् 92 में समाजवादी पार्टी बनाने पर जनपद में सपा तीन संस्थापक सदस्य रहे, जिसमें पारस नाथ यादव का भी नाम था। सपा बनने के बाद कभी भी पार्टी का दामन नहीं छोड़ा और जिले में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था।
राजनीति के शिखर पुरुषों में शुमार पारसनाथ
विगत एक वर्ष से कैंसर नामक बीमारी के चपेट में ऐसा आये कि उससे उबर नहीं सके। लगभग तीन माह से लगातार वेदान्ता अस्पताल लखनऊ में इनका उपचार चल रहा था। पारस नाथ यादव के निधन की सूचना सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को होते ही उन्होंने गहरा शोक संवेदना व्यक्त किया है। साथ ही सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनैतिक एवं पारिवारिक साथी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त किया है।
पूर्व मंत्री के निधन की खबर लगते ही सबसे पहले उनके पुराने राजनैतिक साथी लल्लन प्रसाद यादव पहुंचे इसके बाद पूर्व विधायक गुलाब चन्द सरोज, जिलाध्यक्ष लालबहादुर यादव, एवं प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री गिरीश चन्द यादव, राकेश यादव, राजन यादव, सपा महामंत्री हिसामुद्दीन, मोहम्मद हसन पीजी कालेज के प्राचार्य डा अब्दुल कादिर, श्याम बहादुर पाल, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज सहित जनपद के सभी छोटे बड़े राजनीतिको ने स्व पारस नाथ के आवास पर पहुंच कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया है। राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार वाराणसी स्थित मणिकर्णिका घाट पर होगा।