टैक्सेशन: बजट में 80C की सीमा बढ़ा सकती हैं सीतारमण, लग सकता है कोरोना सेस

नई दिल्ली। 2021-22 के बजट में इनकम टैक्स में किसी बड़ी राहत की उम्मीद नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के विभिन्न प्रावधानों में कुछ राहत दे सकती है। ज्यादा राहत की गुंजाइश भी नहीं है। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 24.23 लाख करोड़ रुपए ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू का अनुमान रखा था। अंदेशा है कि यह लक्ष्य से 3 लाख करोड़ रुपए कम रह सकता है।

सेक्शन 80C की सीमा 2 लाख रुपए हो सकती है

एंजल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अनुज गुप्ता ने कहा कि सरकार सेक्शन 80C के तहत इनकम में 1.5 लाख रुपए तक की कटौती सीमा को बढ़ा सकती है। इसे 2 लाख रुपए किया जा सकता है। सेक्शन 80C में कुछ खास सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स की सूची है।

ज्यादा इनकम वालों पर कोरोना सेस लग सकता है

सरकार अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कोरोना सेस लगा सकती है। अनुज गुप्ता ने कहा कि यदि कोरोना सेस लगता है तो यह ज्यादा इनकम वाली कैटेगरी और कॉरपोरेट टैक्स पर लगेगा। अभी सबसे ज्यादा इनकम टैक्स रेट 30% है।

पर्सनल इनकम टैक्स की अधिकतम दर 25% हो सकती है

PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट संजय अग्रवाल ने कहा कि सरकार पर्सनल इनकम टैक्स की अधिकतम दर 25% कर सकती है। अभी यह 30% है। इसके ऊपर 3% एजुकेशन सेस और 1% हेल्थकेयर सेस लगता है। अग्रवाल के अनुसार टैक्स रेट घटाने से टैक्स और GDP का अनुपात बढ़ेगा। अभी यह 17% है, जबकि चीन-ब्राजील जैसे देशों का औसत 21% है।

होम लोन पर ब्याज छूट 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए की जा सकती है

अग्रवाल ने कहा कि सरकार होम लोन के ब्याज पर मौजूदा 2 लाख रुपए की छूट को बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर सकती है। यह छूट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 के तहत मिलती है। यदि मकान रेंट पर लगा हुआ है, तो समूचे ब्याज पर डिडक्शन मिल जाता है। भले ही वह 2 लाख रुपए से ज्यादा हो।

लोन लिए जाने के दिन से ही डिडक्शन का लाभ मिल सकता है

सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन का लाभ घर का कब्जा लेने के बाद मिलता है। अग्रवाल ने सुझाव दिया कि लोन लिए जाने के दिन से ही इस डिडक्शन का लाभ दिया जाए तो हाउसिंग सेक्टर में भी तेजी आएगी।

नोशनल रेंट पर टैक्स हट सकता है या 5 साल के बाद लग सकता है

इनकम टैक्स के सेक्शन 23 (5) के तहत अनसोल्ड प्रॉपर्टी यदि रेंट पर नहीं लगी हुई है, तो कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद दो साल तक इसकी वैल्यू को निल समझा जाता है। इसके बाद मान लिया जाता है कि प्रॉपर्टी के मालिक को इससे आय हो रही है, और उस पर टैक्स लगता है। अग्रवाल ने कहा कि सरकार इस प्रावधान को पूरी तरह हटा सकती है या छूट की अवधि को 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर सकती है।

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