टॉलीगंज में पिछड़े केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, TMC कैंडिडेट अरूप बिस्वास को मिली बढ़त

कोलकाता | पश्चिम बंगाल चुनाव में भले ही सभी की निगाहें नंदीग्राम सीट पर हैं, लेकिन उसके अलावा भी कई ऐसी सीट हैं, जहां दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। ऐसी ही एक सीट टॉलीगंज है। इस विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो पीछे चल रहे हैं। शुरुआती दौर में वह आगे चल रहे थे, लेकिन फिलहाल वह पिछड़ रहे हैं। उनके मुकाबले टीएमसी के अरूप बिस्वास चुनावी समर में हैं।

वह ममता बनर्जी की सरकार में पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर के तौर पर काम देख रहे थे। बांग्ला सिने इंडस्ट्री के गढ़ के तौर पर पहचान रखने वाले टॉलीगंज से सीपीएम ने एक्टिव देबदूत घोष को चुनावी समर में उतारा है। बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री टॉलीवुड का नाम भी इस पर ही आधारित है। ऐसा माना जाता रहा है कि जिसका कंट्रोल फिल्म इंडस्ट्री पर रहा है, वही इस सीट पर जीत हासिल करता रहा है। इस सीट पर 10 अप्रैल को मतदान हुआ था।

समूचे बंगाल की तरह ही टॉलीगंज में भी इस बार ध्रुवीकरण तेज रहा है। लेकिन बीजेपी ने बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी पहचान रखने वाले बाबुल सुप्रियो को समर में उतारकर कड़ी टक्कर दी है। उनका मुकाबला तीन बार के टीएमसी विधाक अरूप बिस्वास से है। वहीं बाबुल सुप्रियो एक लोकप्रिय गायक रहे हैं और लगातार दो बार बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने जा चुके हैं। वहीं ममता बनर्जी का भी बांग्ला सिनेमा से पुराना कनेक्शन रहा है। अपनी राजनीति के शुरुआती दौर से ही वह फिल्मी सितारों पर दांव आजमाती रही है। इस बार भी उन्होंने बड़ी संख्या में सिलेब्रिटीज को चुनावी समर में उतारा है।

वहीं बीजेपी ने भी क्रिकेटरों से लेकर सितारों तक की फौज चुनाव में उतारी है। टॉलीगंज सीट की बात करें तो 1960 के शुरुआती दौर से ही यहां सीपीएम का दबदबा रहा है। हालांकि 1996 में इस सीट पर कांग्रेस की जीत के बाद से परिदृश्य बदलने लगा था और गैर-वामपंथी दल भी मुकाबले में आ गए। 2001 से यह सीट टीएमसी के मजबूत गढ़ के तौर पर उभरी है। इस सीट पर बांग्लादेशी शरणार्थियों की भी बड़ी संख्या है। बिजयगढ़, रानीकुठी और नेताजीनगर जैसे इलाकों में इन शरणार्थियों की अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में इनका वोट भी टॉलीगंज चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है।

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