ट्रांसपोर्ट नगर में गिरी बिल्डिंग के निर्माण का कारण घटिया निर्माण था। इसके निर्माण के दौरान इस्तेमाल किए गए सीमेंट, सरिया और बाकी प्रोडक्ट ठीक नहीं थी। गुजरात फोरेंसिक जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिल्डिंग निर्माण पूरी तरह से मानक के खिलाफ हुआ था।
सितंबर के महीने में बिल्डिंग गिरी थी। इसमें 8 लोगों की मौत हुई थी और करीब 27 लोग घायल हुए थे। उसके बाद बिल्डिंग निर्माण की जांच गुजरात के गांधी ग्राम की नेशनल फोरेंसिक सांइंस यूनिवर्सिटी की टीम को दी गई। वहां से 4 सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञों की टीम आई थी।
एलडीए से बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल डिजाइन मांगा था सितंबर में बिल्डिंग गिरने के बाद टीम ने मलबा देखकर एलडीए से बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल डिजाइन मांगा था। अधिकारियों के मुताबिक फोरेंसिक जांच में सामने आया है बिल्डिंग बनाने में घटिया स्तर की सीमेंट व सरिया तथा निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। टीम में शामिल प्रोफेसर डॉक्टर आरके शाह, एसोसिएट प्रोफेसर मेरूल वकील व प्रो. डॉ. प्रवीण गुप्ता ने नमूना एकत्र कर साथ ले गए थे।
कॉलम व बीम की नापजोख की गई थी
विशेषज्ञों ने एलडीए के अधिकारियों व अभियंताओं के साथ क्षतिग्रस्त स्लैब की मोटाई, कॉलम व बीम की नापजोख कर सैंपल की जांच की है। बता दें कि सितंबर में भूखंड संख्या-सी-54 पर बनी तीन मंजिल बिल्डिंग गिर गई थी। मलबे में एंगल,सरिया, सीमेंट, छत व दीवार आदि के टुकड़े निकलवाकर देखे गए थे।
जिनकी वीडियो व फोटोग्राफी के साथ लंबाई-चौड़ाई आदि नोट की। सैंपल के लिए बीम, पिलर, सरिया, छत, दीवार आदि की भी जांच की गई। कहा, किस तल पर कौन सी बीम, पिलर, सरिया आदि लगी थी। हर स्तर पर जांच की गई तो कई मामलों में घटिया काम की पुष्टि हुई है। फिलहाल यह रिपोर्ट अभी प्रारंभिक है। अभी अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है। इसी के बाद ही आगे की कार्रवाई किए जाने की बात एलडीए के अधिकारी कर रहे हैं।
शासन ने मांगा जिम्मेदार अधिकारी का नाम इससे पहले शासन की कमेटी ने एलडीए से स्वीकृत मानचित्र एवं शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं कराने के लिए प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारी के नाम पूछे हैं। इसके अलावा भवन निर्माण के लिए किसी आर्किटेक्ट तथा इंजीनियर को कार्य के पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदारी दी गई थी। यह जानकारी भी मांगी गई है। अब शासन की कमेटी भी नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करेगी।