बिहार में परचम फहराने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब पश्चिम बंगाल में परचम फहराने की तैयारी में जुट गई है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल की सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस जहां सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखी है, वहीं बीजेपी खड़े होने की जगह मिल जाने के बाद बंगाली की धरती पर पांव जमाने के प्रयास में जी जान से जुटी हुई है।
बीजेपी चुनाव की तैयारियों में लंबे समय से लगी हुई है, लेकिन पार्टी को ममता को कड़ी टक्कर देने वाले चेहरे की तलाश है। दूसरी ओर ममता ने बीजेपी को बंगाल से दूर रखने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर भरोसा किया है। हालांकि ममता ये कदम उनके ही खिलाफ जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
दरअसल, बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा की 294 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, लेकिन तृणमूल के भीतर बगावती स्वर तेज होता जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में जिस तरह से एक बाद एक विधायक व मंत्री अपनी नाराजगी जता रहे हैं यह शुभ संकेत नहीं है।
तृणमूल के वरिष्ठ नेता और मंत्री धीरे-धीरे बगावत पर उतर रहे हैं, लेकिन ममता के लिए सबसे तगड़ा झटका उनके भरोसेमंद और आंदोलन के दिनों के सहयोगी