लखनऊ। बीते कुछ दिनों से चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश के बीच चली आ रही रार थमती नजर आ रही है। सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव अब अपने भतीजे को लेकर अब अपनी सोच भी बदली है जबकि सपा भी शिवपाल को लेकर अब नम्र होती नजर आ रही है।
दरअसल हाल के कुछ घटनाक्रम से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच की दूरियां भी कम होती नजर आ रही है। बीते दिनों समाजवादी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने अखिलेश यादव के निर्देश पर शिवपाल यादव की सदस्यता रद्द करने वाली याचिका वापस ले ली थी।इसके बाद से सपा में उनकी दोबारा इंट्री होने की प्रबल संभावना बढ़ गई है। हालांकि यह एक दिन में ऐसा नहीं हुआ है।
मुलायम सिंह यादव भी यही चाहते हैं कि शिवपाल यादव और अखिलेश यादव एक बार फिर साथ आए। शिवपाल के जाने से सपा कमजोर हुई है। पार्टी के आपसी विवाद के चलते मुलायम की पार्टी सपा हाल के चुनाव में फिसड्डïी साबित हुई है।
लोकसभा चुनाव से लेकर विधान सभा चुनाव में सपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं अखिलेश का हर दाव उलटा पड़ा है। कांग्रेस से लेकर बसपा से उनकी दोस्ती उनकी पार्टी को रास नहीं आई और चुनावी दंगल में हार का मुंह देखना पड़ा है।
हालांकि इससे अखिलेश ने सबक लिया है और किसी भी बड़े दल से गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है। हाल में ही कई चैनलों पर अखिलेश को यह कहते सुना गया है कि वो आने वालें दिनों छोटे दलों से राजनीतिक समझौता कर सकते हैं। उधर शिवपाल को लेकर भी अखिलेश का सुर पहले से बदला हुआ नजर आ रहा है। अखिलेश ने साफ कर दिया है चाचा समाजवादी पार्टी उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारेगी।
मुलायम भी चाहते हैं कि सबकुछ भुलाकर दोनों एक बार फिर साथ नजर आये। इतना ही नहीं मुलायम के बीमार होने पर शिवपाल यादव कई मौकों पर अपने भाई से मिलने गए है।
अब देखने वाली बात होगी कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव लोहिया भवन के उद्घाटन मौके पर जब चाचा और भतीजे उनके साथ होंगे तो क्या राजनीति समीकरण बदल सकता है।