नई दिल्ली। मोदी सरकार 2.0 का पहला साल बेमिसाल रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित भाजपा सरकार के द्वितीय कार्यकाल का सफल एक वर्ष पूर्ण हो चुका है। केंद्र में भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल के ऐतिहासिक और अभूतपूर्व 1 साल पूरे होने पर मोदी सरकार की मुख्य उपलब्धियां से अवगत कराने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व दिल्ली प्रभारी श्याम जाजू, दिल्ली भाजपा प्रदेश पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी और दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने बुधवार को प्रदेश कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान मोदी इस अवसर पर मोदी 2.0 के पहला साल में किए गए कार्यों की बुकलेट का विमोचन भी किया गया।
इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जाजू ने कहा कि एक साल में इतनी उपलब्धि हासिल करना अपने आप में कीर्तिमान है। मोदी सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को संकल्प मानकर पूरा कर रही है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र के एक-एक वादे को जमीन पर उतार कर दिखाया है। इसने लोकतंत्र में घोषणापत्र की महत्ता को तो स्थापित किया ही है, साथ ही लोकतंत्र की जड़ों को भी मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से भारत में मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में सबसे कम है, जो कि मोदी सरकार की नीति की वजह से ही है।
तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ने पहले साल में इतने काम किए हैं कि उन्हें एक दिन में बताना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो सपना देखा उसे पूरा करने के लिए सभी मंत्री, सांसद, पदाधिकारी और कार्यकर्ता जी जान से लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पहले ही साल में मोदी सरकार ने जम्मू एंड कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून 2019 को पास करने, राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने, मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए तीन तलाक जैसी कुप्रथा को समाप्त करने, करतारपुर गलियारा राष्ट्र को समर्पित करने, ब्रू- रियांग समझौता और बोडो समझौते जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत किसानों, महिलाओं, मजदूरों को आर्थिक सहायता दी गई। लॉक डाउन के दौरान श्रमिक मजदूरों को उनके राज्य पहुंचाने का 85% खर्च केंद्र सरकार ने उठाया और उन्हें भोजन भी मुहैया करवाया। दिल्ली की 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का निर्णय लेकर केंद्र सरकार ने दिल्ली के अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख लोगों के घरों को मालिकाना हक दिया।