कृष्णमोहन झा
कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए संपूर्ण देश में जब पहली बार21 दिन के लाक डाउन कीघोषणा की गई थी तब हमें यह उम्मीद थी कि कोरोना वायरस को परास्त करने के लिए यह अवधि पर्याप्त सिद्ध होगी परंतु 21 दिनों की अवधि पुर्ण होने के पहले ही हमें यह अहसास हो गया कि इसअवधि में कोरोना संक्रमण को रोकने की दिशा में जितनी प्रगति होने चाहिए थी वह नहीं हो पाई इसलिए लाक डाउन को 3 मई तक जारी रखना होगा।
3 मई की तारीख़ आई तो उस समय तक कोरोना संक्रमण इतना फैल चुका था कि लाक डाउन को 17 मई तक बढ़ा कर हम कोरोना वायरस के बढते संक्रमण को काबू में करने के लिए जी जान से जुट गए और 17 मई की तारीख़ आने के पहले ही हम यह मान चुके थे कि अब हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए। फिर भी उस समय हमने बहुत सारी रियायतों के साथ लाक डाउन को जारी रखना उचित माना।
जाहिर सी बात है कि हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा था। अब 31 मई की तारीख़ नजदीक आते आते देश में कोरोना संक्रमण इतना भयावह रूप ले चुका है कि लाक डाउन 5.0 की घोषणा पर भी हमें कोई आश्चर्य नहीं होगा। अनेक वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञों ने यह आशंका व्यक्त की है कि जून और जुलाई में देश के अंदर कोरोना संक्रमण चरम पर होगा। इसे देखते हुए तो हमें अब यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि शायद लाक डाउन की आवश्यकता किसी रूप में हमें जुलाई तक महसूस होती रहेगी।
गौरतलब है कि देश में जब पहली बार 21 दिन के संपूर्ण का फैसला किया गया था तब देश के अंदर कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 सौ के आसपास थी और आज यह आंकड़ा बढ़कर डेढ़ लाख के ऊपर पहुंच चुका है। पहली बार लाक डाउन की घोषणा के वक्त यह कौन सोच सकता था कि दो माह में देश में कोरोना वायरस लगभग चार हजार संक्रमितों को मौत की नींद सुला चुका होगा। हम भले ही अपने दिलों को यह झूठी तसल्ली देते रहें कि हमने कोरोना के साथ जीने की आदत डाल ली है परंतु कड़वी हकीकत तो यही है कि देश में कोरोना संक्रमण का दिनों दिन बढता दायरा अब हमें डराने लगा है।
अब जबकि लाक डाउन का चौथाचरण पूरा होने में भी ज्यादा दिन शेष नहीं रह गए हैं तब हमें यह विचार भी करना होगा कि लगभग सवा दो माह की अवधि में हमें कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में कितनी सफलता मिली है। स्थिति का बारीकी से आकलन करने के बाद हमें इतना सुकून तो अवश्य महसूस होता है कि देश में कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर लगातार बढ़ रही है और यह दर जितनी अधिक बढ़ेगी उतना ही कोरोना का डर भी लोगों के मन से निकलता जाएगा।
यह अपने आप में बहुत बड़ी सफलता है और यह सफलता हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालने की शक्ति प्रदान करेगी। हमें यह भी मानना होगा कि चूंकि कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए अधिक से अधिक परीक्षण करने की हमारी क्षमता भी इन सवा दो माहों में तेजी से बढी है इसलिए भी हमारे देश में कोरोना संक्रमितों का आंकडा बढ़ रहा है। लेकिन हमारी असली परीक्षा तो इस बात से होना है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में हमें कितनी सफलता मिल रही है।
दरसल कोरोना संक्रमण के तेजी से बढते मामलों के कारण हमारी पूरी व्यवस्था ही डगमगा गई है। कोरोना संकट केवल हमारी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा विषय नहीं है। इस संकट ने हमारी अर्थव्यवस्था को तो हिलाकर रख ही दिया है इसने शिक्षा, कृषि, संस्कृति रेल, परिवहन आदि क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। जिन राज्य सरकारों ने पहले लाक डाउन बढ़ाने का फैसला अपने स्तर पर ही ले लिया था वे भी अब असमंजस की स्थिति का सामना करने को विवश हैं।
अब यह आम धारणा बन चुकी है कि जब कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने की हमारी कोशिशों में हमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है तो धीरे धीरे लाक डाउन से बाहर आने की रणनीति पर विचार करना चाहिए।
इसीलिए अब लाक डाउन की अवधि बढाने के साथ ही रियायतें बढ़ाने में भी राज्य सरकारें अधिक दिलचस्पी ले रही हैं लेकिन यह भी सच है कि कोरोना संक्रमण की गंभीरता की दृष्टि से हम पहले जितने सतर्क थे उस सतर्कता को भी हमें अपने स्वभाव का हिस्सा बनाना होगा।
ऱोजमर्रा की जिंदगी को सामान्य बनाने के लिए रियायतें बढाना तो उचित माना जा सकता है परन्तु रियायतों के अनुपात में अगर हमने सतर्कता नहीं बढाई तो इन रियायतों की हमें बहुत बड़ी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना होगा।
लाक डाउन4.0 समाप्त होने की तारीख़ निकट आने के साथ ही देशवासियों ने यह अनुमान तो लगा ही लिया है कि लाक डाउन 5.0 की भूमिका भी तैयार हो चुकी है और इस विषय में मंथन भी प्रारंभ हो चुका है कि लाक डाउन 4.0से लाक डाउन 5.0का रूप रंग कितनाअलग होना चाहिए। यह भी विशेष गौरकरने लायक बात है कि इस बार लाक डाउन से संबंधित फैसला लेने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भी अहम भूमिका साफ नजर आ रही है।
उन्होंने गत दिवस विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा में लाक डाउन 5 .0 का स्वरूप करने के लिए उनके सुझाव मांगे। गौरतलब है कि इसके पूर्व लाक डाउन के विषय में कोई भी फैसला करने के पूर्व प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ़्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा किया करते थे परंतु अब प्रधान मंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्रीअमित शाह को यह जिम्मेदारी सौंप दी है कि मुख्य मंत्रियों के साथ संवाद कायम करें। केन्द्रीय गृह सचिव भी अब राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों के साथ चर्चा करेंगे और उसकेबाद लाक डाउन 5.,.0 का स्वरूप तय किया जाएगा।
जब लाक डाउन के चौथे चरण की शुरुआत हुई थी तब कोरोना संक्रमण की गंभीरता की दृष्टि से रेड, आरेंज और ग्रीन ज़ोन में वर्गीकरण करने का अधिकार राज्य सरकारों को दे दिया गया था इसी तरह रियायतें बढ़ाने का अधिकार भी काफी हद तक राज्य सरकारों को मिल गया था यद्यपि इस अधिकार का उपयोग केंद्र की जानकारी में लाकर ही किया जा सकता था।