जयपुर। राजस्थान में सियासी उठापटक का आज 18वां दिन है। कांग्रेस आज राजस्थान को छोड़ देशभर के राजभवनों पर प्रदर्शन कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान में राजभवन का घेराव नहीं करने की वजह वजह भी बताई। पहली- यहां पहले ही प्रदर्शन किया जा चुका है। दूसरी- राज्यपाल को विशेष सत्र बुलाने पर जो आपत्ति थी, उसका जवाब भेज दिया गया है। ऐसे में राज्यपाल सत्र बुलाने से मना नहीं कर पाएंगे, इसलिए राजभवन के घेराव का मतलब नहीं।
…और जो छिपा रही
कांग्रेस जो भी कहे, लेकिन राजनीति के जानकारों की राय अलग है। उनका कहना है कि राज्यपाल कलराज मिश्र के आक्रामक रुख को देखते हुए कांग्रेस बैकफुट पर है। तीन पहले गहलोत और उनके विधायकों ने जब राजभवन को घेरा था, तब चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि राज्यपाल कहीं राष्ट्रपति शासन की सिफारिश ना कर दें। राज्यपाल ने रविवार को मुख्य सचिव और डीजीपी को बुलाकर अपनी सुरक्षा पर चिंता जताई। इससे मैसेज गया कि अगर कांग्रेस ने फिर से राजभवन को घेरा और राज्यपाल ने केंद्रीय सुरक्षा बल बुलाने का फैसला लिया तो सरकार की किरकिरी होगी।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर स्पीकअप फॉर डेमोक्रेसी अभियान शुरू किया है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने रविवार को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना से लड़ने की बजाए कांग्रेस से लड़ रहे हैं। बहुमत की हत्या हो रही है।
कांग्रेस ने जनता के सामने 5 सवाल रखे
1. क्या देश को प्रजातंत्र और संविधान पर भाजपा का हमला स्वीकार है?
2. क्या बहुमत और जनमत का फैसला राजस्थान की 8 करोड़ की जनता को वोट से होगा या दिल्ली के हुक्मरानों के सत्ता बल और धन बल से होगा?
3. क्या प्रधानमंत्री और भारत सरकार सत्ता हासिल करने के लिए संवैधानिक परंपराओं को कुचल सकते हैं?
4. क्या बहुमत से चुनी राजस्थान सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा सत्र को राज्यपाल इजाजत देने से इनकार कर संविधान की अनदेखी कर सकते हैं?
5. क्या राज्यपाल विधायिका के अधिकार क्षेत्र में असंवैधानिक तौर पर दखलअंदाजी कर सकते हैं? क्या इससे विधायिका और न्यायपालिका में टकराव की स्थिति पैदा नहीं होगी?