नई दिल्ली। सरकार को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच लोगों को निशुल्क टीका और खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी वयस्कों को निशुल्क टीका प्रदान करने की घोषणा से सरकारी खजाने पर 45,000 करोड़ रुपए से 50,000 करोड़ रुपए के बीच का बोझ पड़ेगा।
यह सरकार द्वारा तय किए गए 35,000 करोड़ रुपए के बजट से ज्यादा है। साथ ही करीब 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर तक हर महीने पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल उपलब्ध कराने पर 1.1 लाख करोड़ रुपए से 1.3 लाख करोड़ रुपए का खर्च आएगा। सूत्रों ने कहा कि इन दोनों पर कुल खर्च 1.45 लाख करोड़ रुपए के करीब बैठता है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के पिछले फैसले को पलटते हुए सोमवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार अब सभी वयस्कों के लिए टीके खरीदेगी और 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को 21 जून से निशुल्क टीके लगाये जायेंगे। इसके साथ ही जून में समाप्त होने वाली निशुल्क खाद्यान्न योजना को नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
ज्यादा 99,122 करोड़ रुपए के लाभांश मिलने और पेट्रोल एवं डीजल पर लागू ऊंचे कर से इन कार्यों को पूरा करने के लिये पर्याप्त धनराशि मिल गयी होगी।
सूत्रों ने हालांकि यह नहीं बताया कि टीके कैसे और कहां से खरीदे जाएंगे। सरकार इस समय सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऐस्ट्राजेनेका टीका और भारत बायोटेक द्वारा निर्मित एक स्वदेशी टीका खरीदती है।
इस महीने के मध्य से रूस का स्पुतनिक 5 टीका भी देश में व्यावसायिक तौर पर उतार दिया जाएगा। सरकार अतिरिक्त टीके खरीदने के लिए दूसरे विदेशी टीका निर्माताओं से भी बात कर रही है। भारत में अब तक कुल मिलाकर 23 करोड़ टीके की खुराक दी जा चुकी है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था।