नई दिल्ली। शिवसेना भवन किसका होगा, चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिंदे गुट यहां कंट्रोल हासिल कर पाएगा, शिवसेना के बाकी दफ्तरों और प्रॉपर्टी का बंटवारा कैसे होगा, किसे क्या मिलेगा, ये सवाल अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही तय होना है।
शिवसेना के पास अभी 191.82 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है, दादर के शिवसेना भवन पर भी उद्धव गुट का कब्जा है। शिंदे की शिवसेना का कब्जा कहां-कहां होगा, ये सवाल फिलहाल बना हुआ है।
बाला साहेब ठाकरे के बेहद करीब रहे एकनाथ शिंदे ने तकरीबन 6 महीने पहले तब शिवसेना प्रमुख रहे उद्धव ठाकरे का हाथ झटक BJP का दामन थाम लिया। वे फिलहाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं।
17 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके पक्ष (पार्टी) को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का चिह्न दे दिया। बीते मंगलवार को एकनाथ शिंदे को पार्टी के ‘मुख्य नेता’ के रूप में चुन लिया गया। ‘मुख्य नेता’ का पद ‘शिवसेना प्रमुख’ के पद के बराबर ही बनाया गया है।
शिवसेना शिंदे की, लेकिन दफ्तर-प्रॉपर्टी किसकी?
चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब चर्चा ये है कि शिवसेना भवन समेत राज्यभर में मौजूद पार्टी दफ्तरों पर किसका कब्जा होगा? शिवसेना के नाम पर जमा पार्टी फंड और करोड़ों रुपए की संपत्ति का क्या होगा। चुनाव आयोग के पास मौजूद रिकॉर्ड के मुताबिक शिवसेना के पास 191 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है। इसके अलावा मुंबई में 280 और राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 82 शाखा दफ्तर हैं।
CM एकनाथ शिंदे भले ही कह रहे हैं कि पुरानी शिवसेना से उन्हें सिर्फ बाला साहेब के विचार चाहिए, लेकिन मौजूदा संविधान के मुताबिक पार्टी पर कब्जा और कोषाध्यक्ष नियुक्त करते ही पूरी प्रॉपर्टी और फंड खुद-ब-खुद नई शिवसेना के पास ही आएगा। सवाल ये है कि आने वाले समय में मुंबई समेत राज्य के कई शहरों में नगर निकाय चुनाव है। फंड की जरूरत पड़ेगी तो ऐसे में क्या शिंदे की शिवसेना ये फंड छोड़ देगी?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक शिंदे गुट की नजर अब उद्धव गुट के सांसदों और विधायकों पर भी है। 27 फरवरी से शुरू होने जा रहे बजट सत्र से पहले पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों के नाम एक व्हिप जारी किया जाएगा। उद्धव ठाकरे के साथ 10 विधायक और 2-3 सांसद ही बचे हैं, इस व्हिप के बाद उन्हें भी या तो पार्टी से बाहर जाना होगा या फिर शिंदे गुट में आना पड़ेगा।
शिंदे कह रहे हैं कि उन्हें पार्टी की प्रॉपर्टी और फंड नहीं चाहिए, लेकिन उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बताया था कि शिवसेना ऑफिस पर कब्जा किया जा चुका है। अगर चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई, तो शिंदे ग्रुप उनके बैंक अकाउंट भी हासिल कर लेगा। अब सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई में ही ये सब तय होने की उम्मीद जताई जा रही है। अगली सुनवाई 15 मार्च को हो सकती है।