नई दिल्ली। दीवान हाउसिंह ऐंड फाइनेंस लिमिटेड के कपिल और धीरज वाधवान पर बैंक फ्रॉड का केस दर्ज करने के बाद सीबीआई ने मुंबई में उनके 12 ठिकानों पर छापा मारा। आरोप है कि उन्होंने 17 बैंकों में 34615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। सीबीआई यह सबसे बड़े बैंक फ्रॉड की जांच कर रही है। रेड वाली जगहों में वाधवान का ऑफिस और घर भी शामिल है।
वाधवान के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि डीएचएफएल के तत्कालीन मुख्य प्रबंद निदेशक कपिल वाधवान, तत्कालीन निदशक धीरज वाधवान, कारोबारी सुधाकर शेट्टी व कुछ सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर बैंक धोखाधड़ी की साजिश रची थी। सीबीआई का कहना है कि आरोपी कपिल वाधवान ने कंसोर्टियम बैंकों को 42871 करोड़ रुपये का कर्ज देने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद कंसोर्टियम कर्जदाताओं को 34,615 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के मुताबिक मई 2019 में जब डीएचएफएल ने कर्जदाताओं के साथ धोखाधड़ी शुरू की तो एक स्पेशल रिव्यू करवाया गया था। डीएचएफएल ने उस वक्त कंपनी की आर्थिक स्थिति की गलत जानकारी दी थी। कंपनी ने आश्वासन दिया था कि उसके पास पर्याप्त लिक्टिविडिटी है और वह कर्ज चुका देगी।
जांचकर्ताओं का कहना था कि उन्हें पता चला कि 29100 करोड़ के फंड को डाइवर्ट करने केलिए 66 एंटिटीज का इस्तेमाल किया गया था। एफआईआर के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान एसबीआई को हुआ जो कि 9898 करोड़ रुपये है। इसके बाद बैंक ऑफ इंडिया, कैनड़ा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ोदा को नुकसान हुआ है।