काठमांडू। नेपाल के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक को प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रमुख पुष्पा कमल दहल के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को अधिक समय देने के लिए रविवार तक पांचवीं बार स्थगित कर दिया गया था। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (राकांपा) के नेताओं – केपी शर्मा ओली, पुष्पा कमल दहल और माधव कुमार नेपाल ने 17 जुलाई को केंद्रीय स्थायी समिति की बैठक आयोजित करने का फैसला किया था।
सूत्रों के अनुसार, तीनों नेताओं – केपी शर्मा ओली, पुष्पा कमल दहल और माधव कुमार नेपाल ने केंद्रीय स्थायी समिति की बैठक को स्थगित नहीं करने का फैसला किया था। हालांकि, शुक्रवार को सुबह 11 बजे यह बैठक होनी थी, लेकिन यह स्थगित हो गई है और 3 बजे से समय निर्धारित किया गया। अब जहां 3 बजे भी वह बैठक नहीं होगी और इसे रविवार तक स्थगित कर दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग पर कोई और निर्णय नहीं किया गया है क्योंकि सभी दल अपनी पहले की मांगों के लिए अड़े हुए हैं। बता दें कि पिछले महीने शुरू हुई केंद्रीय स्थायी समिति की बैठक में पार्टी के गुटों के बीच बढ़ती सत्ता की खींचतान के कारण इसे रोक दिया गया था।
पिछले कुछ दिनों पहले नेपाल में सियासी हलचल तेज हो गई। भारत विरोधी प्रस्ताव पारित करने को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की मुश्किलें बढ़ी। पाल के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में ओली से इस्तीफे की मांग की। उस दौरान नेपाल के पूर्व पीएम और कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा था कि उनके द्वारा की गई भारत विरोधी टिप्पणी ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना ही राजनैतिक रूप से उचित है।
भारत से दूरी की वजह चीन को भी बताया गया और पीएम ओली पर चीन से मिलीभगत के भी आरोप हैं। वहीं, हाल ही में खुलाया हुआ कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की संपत्ति में पिछले कुछ सालों के दौरान भारी वृद्धि हुई है। विदेशों में भी उनके खातों का पता चला है। इस भ्रष्टाचार में चीनी राजदूत उनके बड़े मददगार बताए गए।
ग्लोबल वॉच एनालिसिस की ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि चीन, नेपाल जैसे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों में घुसने के लिए वहां के भ्रष्ट नेताओं का इस्तेमाल करता रहा है। बता दें कि भारत और चीन में काफी समय से विवाद चल रहा है।…और भारत के साथ संबंध बिगाड़ रहा नेपाल के पीएम ने पिछले कुछ दिन पहले एक और विवादित बयान दिया था।
उन्होंने कहा था कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या नेपाल के बीरगंज जिले के थोरी गांव में होने का बेतुके दावा किया। भगवार राम को नेपाल का बताया था।