नई दिल्ली। भारत सरकार सुरक्षित और ग्रीन नेशनल हाईवे कॉरिडोर के लिए वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर काम शुरु करने वाली है। यह प्रोजेक्ट 50 करोड़ डॉलर का है। इसके तहत राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। इस समझौते पर सरकार की ओर से सीएस महापात्रा (एडिशन सेक्रेटरी, इकोनॉमिक अफेयर, वित्त मंत्रालय) और वर्ल्ड बैंक की ओर से सुमिला गुल्यानी (वर्ल्ड बैंक के लिए भारत में डायरेक्टर) ने हस्ताक्षर किए।
क्या है प्रोजेक्ट?
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे (MoRTH) ने कहा कि यह प्रोजेक्ट सेफ्टी और ग्रीन टेक्नोलॉजी में मिनिस्ट्री की क्षमता को बढ़ाएगी। बता दें कि इस प्रोजेक्ट की मदद से मंत्रालय अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में ग्रीन टेक्नोलॉजी के माध्यम से 783 किलोमीटर के हाईवे का निर्माण करेगा। ग्रीन टेक. में लोकल और मार्जिनल मेटेरियल , इंडस्ट्रीयल बायप्रोडक्ट्स और अन्य बायो-इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस शामिल होंगे।
इससे फायदा क्या है?
जारी बयान के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से कनेक्टिवटी तेज होगी और लॉजिस्टिक खर्च घटेगी। इसके साथ ही सरकार ने रोड सेक्टर के मजबूती और लॉजिस्टिक सेक्टर में सुधार के लिए कई इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम लॉन्च किए हैं। इस नए ग्रीन प्रोजेक्ट से भी भाड़ा वॉल्यूम और नेशनल हाईवे नेटवर्क पर हलचल के विश्लेषण और इनोवेटिव लॉजिस्टिक सॉल्यूशंस भी मुहैया करने में मदद करेगी।
वर्ल्ड बैंक कंट्री डायरेक्टर (इंडिया) जुनैद अहमद ने कहा कि किसी भी देश के विकास के दो अहम आयाम होते हैं, आर्थिक तेजी के लिए कनेक्टिवटी और सतत विकास के लिए कनेक्टिवटी। और भारत के ग्रोथ स्ट्रेटेजी के लिए यह प्रोजेक्ट इन्हीं दोनों को एक साथ प्राथमिकता दी जा रही है।
एडवांस होगा नेशनल हाईवे
भारत में कुल रोड ट्रैफिक का 40% हिस्सा नेशनल हाईवे पर ही होता है। ऐसे में प्रोजेक्ट के तहत हाईवे में ब्लैक स्पॉट, असमान क्षमता और ड्रेनेज सुविधा को सुधारा जाएगा। इसके अलावा बायपास, जंक्शन में सुधार और रोड सेफ्टी के नए फीचर भी लाए जाएंगे। बयान के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए इंटरनेशनल बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन एंड डेवलेपमेंट (IBRD) से 50 करोड़ डॉलर का लोन लिया जाएगा। इसकी मेच्योरिटी 18.5 साल का है, जिसमें 5 साल का ग्रेस पीरियड भी शामिल है।