प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने सीटों के निर्धारण से लेकर चुनाव संपन्न कराने का शेड्यूल तय कर दिया है। इसके तहत अब 30 अप्रैल तक प्रधानों के चुनाव हो जाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि 17 मार्च तक आरक्षण का कार्य पूरा हो जाए। 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव कराएं।
विनोद उपाध्याय की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
यह आदेश विनोद उपाध्याय नाम के शख्स की याचिका पर जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस आरआर अग्रवाल की बेंच ने दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग व राज्य सरकार के द्वारा संविधान के आर्टिकल 243A का उल्लंघन किया जा रहा है।
पंचायतों के कार्यकाल खत्म होने के भीतर चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए। नियमानुसार 13 मई 2021 तक चुनाव हो जाने चाहिए थे। लेकिन देरी की जा रही है। गुरुवार को एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह और एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने राज्य सरकार का पक्ष रखा। जबकि याची की तरफ से अधिवक्ता पंकज कुमार शुक्ला ने अपनी दलीलें रखी।
मई में चुनाव के शेड्यूल को कोर्ट ने अस्वीकारा था
इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा था पंचायत चुनाव मई में शेड्यूल हैं। चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि कोविड-19 के चलते परिसीमन में देरी हुई। 22 जनवरी को वोटर लिस्ट तैयार हो गई थी। इसके बाद 28 जनवरी तक परिसीमन भी कर लिया गया था।
सीटों का आरक्षण राज्य सरकार को करना है, इसलिए चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हो चुके। कहा गया कि सीटों का रिजर्वेशन पूरा होने के बाद चुनाव में अभी 45 दिन का समय और लगेगा। इसलिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से समय मांगा। लेकिन कोर्ट ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।