नई दिल्ली। संगीत मरतड पंडित जसराज तीनों पद्म पुरस्कारों- पद्मश्री, पद्म भूूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित शास्त्रीय गायक थे। उन्होंने सोमवार को 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित अपने अवास में अंतिम सांस ली। उनके परिवार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। आठ दशकों तक भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में छाए रहे पंडित जसराज मेवाती घराना से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने मात्र 14 वर्ष की उम्र में शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया था। बाद में उन्होंने अपने बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण से तबला वादन भी सीखा। ठुमरी और खयाल गायन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
उनके निधन की खबर मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय संस्कृति के आकाश में गहरी शून्यता पैदा हो गई है। उन्होंने न केवल उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दीं, बल्कि कई अन्य गायकों के लिए अनूठे परामर्शदाता के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। उनके परिवार और दुनियाभर में उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”
प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने संगीत जगत के लिए अत्यंत दुखद दिन बताते हुए कहा, “पंडित जसराज के निधन से संगीत के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया। मैंने जसराज भाई के साथ साठ के दशक से ही कई संगीत समारोहों में मंच साझा किया है। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को अलग दिशा दी। वह ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने अपना जीवन अपनी शर्तो पर जिया।”
पंडित जसराज भारतीय शास्त्रीय संगीत गायकों के स्वर्णिम युग के सितारों उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, उस्ताद आमिर खान, पंडित भीमसेन जोशी और पंडित कुमार गंधर्व की परंपरा के अंतिम कड़ी थे।
पंडित जसराज ने भारत ही नहीं, कनाडा और अमेरिका के लोगों को भी संगीत की शिक्षा दी। वह सन् 1972 से ही हैदराबाद में पंडित मोतीराम पंडित मणिराम संगीत समारोह का वार्षिक आयोजन किया करते थे।