पश्चिमी यूपी में हो रही खाप पंचायतों से भाजपा की चिंता बढ़ी

लखनऊ। किसानों के आंदोलन पर केंद्र सरकार भले ही मौन साधे हुए हैं लेकिन इसकी वजह से उत्तर प्रदेश भाजपा की चिंता बढ़ गई है। 28 जनवरी के बाद जिस तरह आंदोलन ने करवट बदला है उसकी वजह से भाजपा का चिंता बढऩा लाजिमी है।28 जनवरी के किसान नेता राकेश टिकैत की भावनात्मक अपील के बाद जिस तरह से खाप पंचायतें सक्रिय हुई और और उन्होंने जिस तरह से सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया उससे उत्तर प्रदेश भाजपा खेमे में हलचल मच गई है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आए दिन खाप पंचायते हो रही हैं और इसकी वजह से भाजपा की दिक्कते बढऩे लगी है। वजह सभी को पता है। पंचायत चुनाव सिर पर है और राज्य में माहौल सरकार के खिलाफ बन रहा है।

इतना ही चिंता की एक बड़ी वजह है अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव। जिस तरह का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में माहौल बन रहा है उससे चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। खासकर जाट समुदाय की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है।

भाजपा भी अच्छे से जानती है कि पिछले काफी समय से जाट समुदाय का भाजपा को समर्थन है। इनकी वजह से ही भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव में परचम लहराने में कामयाब हुई।

फिलहाल किसान आंदोलन का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। किसान और सरकार अपने रूख पर अड़े हुए हैं।

भाजपा की परेशानी उस समय ज्यादा बढ़ीं, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने गाजीपुर बार्डर खाली कराने का ऐलान किया और भारी पुलिस बल खड़ा कर दिया। बार्डर तो खाली नहीं हुआ लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका विरोध जरूर शुरू हो गया। इसकी वजह से खाप पंचायतों की एकजुटता भी बढ़ी और रालोद नेता चौधरी अजित सिंह भी सक्रिय हो गए। फिलहाल जाट समुदाय की नाराजगी बढ़ती देख भाजपा भी अब सक्रिय हो गई है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं ने अपना संपर्क गांव-गांव तक बढ़ा दिया है। स्थानीय स्तर पर सह संगठन मंत्री कर्मवीर, पंकज सिंह व अन्य नेता लोगों को समझा रहे हैं कि यह सरकार किसानों के खिलाफ नहीं है। वह किसान कानूनों को लेकर भ्रम भी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

अब प्रदेश सरकार के मंत्री भी लोगों के बीच जाकर चौपालों पर लोगों से संवाद कर समझाने की कोशिश करेंगे। भाजपा एक साथ कई चुनौतियों से जूझ रही है। पहला पंचायत चुनाव में नुकसान होने का डर और दूसरा विरोधी दलों की सक्रियता ने उसकी चिंता को बढ़ा दिया है।

भाजपा अच्छे से जानती है कि इस समय जो भी राजनीतिक दल किसानों का दर्द में शामिल होंगे वह अपनी जड़े जमाने में कामयाब होंगे। और इसका नुकसान भाजपा को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हो सकता है।

मालूम हो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 44 सीटें हैं जिनमें लगभग 20 सीटों पर जाट समुदाय हार जीत तय करता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में 41 फीसद वोट मिले थे, जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसे लगभग 44 फीसद वोट मिले थे।

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