मेरठ। पहले से ही मंदी की मार झेल रहा रियल एस्टेट सेक्टर कोरोना मार से तबाह हो गया है। सरकारी प्रोजेक्टों से लेकर निजी क्षेत्र के बिल्डरों को भी खरीददार नहीं मिल रहे। लाॅकडाउन ने रही-सही कसर पूरी कर दी है। रियल एस्टेट के कारोबारियों को लाॅकडाउन खुलने के बाद भी एक साल तक इसमें बेहतरी आने की उम्मीद नहीं है।
मेरठ में चल रही कई विकास परियोजनाओं के चलते रियल एस्टेट सेक्टर में बूम आने की उम्मीद लगी हुई थी। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे, मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल परियोजना, मेरठ-बुलंदशहर नेशनल हाईवे 235, डेडीकेडिट फ्रेट कोरीडोर आदि परियोजना के धरातल पर तेजी से उतरने से लोगों को भी मेरठ के विकास को नए पंख लगने की उम्मीद थी। रियल एस्टेट के कारोबारियों को भी उम्मीद थी कि यह सेक्टर फिर से चमकेगा। लेकिन कोरोना आपदा से रियल एस्टेट सेक्टर भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
निजी और सरकारी प्रोजेक्ट हुए बेहाल
कोरोना से पहले भी जमीन, मकान, दुकान, प्लाट, फ्लैट आदि की खरीद-फ्रोख्त का कारोबार बहुत धीमा चल रहा था। सरकारी और निजी प्रोजेक्ट का यही हाल था। मेरठ में आवास एवं विकास परिषद की जागृति विहार एक्सटेंशन योजना परवान नहीं चढ़ पा रही थी। इस परियोजना में फ्लैट नहीं बिकने पर आवास विकास ने दाम भी कम किए, लेकिन खरीदने की बजाय पहले के खरीददारों ने अपने फ्लैट आवास विकास को वापस कर दिये। निजी क्षेत्र की कंपनियों और स्थानीय बिल्डरों को भी अपने प्रोजेक्ट में खरीददार नहीं मिल रहे। अब कोरोना आपदा से सब कुछ जाम कर दिया है।
चमक लौटने में लगेगा एक साल से ज्यादा समय
कोरोना आपदा के कारण रियल एस्टेट कारोबार भले ही ठप हो गया हो, लेकिन कारोबारियों को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में एक साल बाद पूरी चमक आ जाएगी। शहर के प्रमुख बिल्डर कमल ठाकुर का कहना है कि लाॅकडाउन के बाद शुरूआत में लोग अपनी मूल जरूरतों पर पैसा खर्च करेंगे। मेरठ में चल रही विकास परियोजनाओं के कारण यहां जल्दी ही बाजार संभल जाएगा। मेरठ में छोटे मकान व प्लाॅट तेजी से बिकने शुरू होंगे।
परतापुर बाईपास पर कई प्रोजेक्ट चला रहे लैंड डेवलपर कवित्र पूनिया का कहना है कि रियल एस्टेट कारोबार धीमा तो होगा, लेकिन पूरी तरह से ठप नहीं होगा। मेरठ में मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट सफल नहीं है। एक साल बाद बाजार पूरी तरह से बदल जाएगा। लाॅकडाउन के बाद धीरे-धीरे इस बाजार में रौनक लौटेगी।