कराची। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली 10 हजार से अधिक किताबों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है , जबकि सैकड़ों किताबों को बैन किया जा चुका है। कारण, पंजाब कुरिकुलम एवं टेक्स्ट बुक के प्रबंध निदेशक को लगता है कि ये किताबें देश एवं इस्लाम के खिलाफ हैं। इनमें से एक किताब पर तो सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा दिया गया है कि इसमें सुअर के चित्र का प्रयोग किया गया है।
पाकिस्तान मीडिया के अनुसार पंजाब कुरिकुलम एवं टेक्स्ट बुक के प्रबंध निदेशक राय मंज़ूर हुसैन नासिर ने बताया है कि अभी और हजारों किताबों की जांच की जा रही है। यदि उनमें भी कुछ आपत्तिजनक पाया जाता है तो उन पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
इस अधिकारी का दावा है कि इन किताबों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला 2015 में सेंट्रल गवर्मेंट द्वारा पास पंजाब कुरिकुलम एवं टेक्स्ट बुक एक्ट के तहत लिया गया है। उस समय पाकिस्तान में पीएमएल-एन की सरकार थी। इस एक्ट के अनुच्छेद 10 के अनुसार अपनी किताब के प्रकाशन से पहले प्रकाशकों को बोर्ड से मंजूरी लेनी आवश्यक है। लेकिन अभी तक इस कानून पर अमल नहीं हो रहा था।
पजांब के शिक्षा बोर्ड को सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर है कि किताबों में इस्लाम का ख्याल नहीं रखा गया है। पंजाब कुरिकुलम एवं टेक्स्ट बुक एक्ट में यह प्रावधान है कि यदि किसी किताब में इस्लाम के खिलाफ कुछ भी लिखा जाता है, देश की एकता और अखंडता पर कोई आंच आती है या पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कहीं कोई गलत आख्या दी जाती है तो उस किताब पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
मंज़ूर हुसैन नासिर का कहना है कि किताबों में छपी इस्लाम या इस्लामियत, पाकिस्तान का इतिहास और उर्दू साहित्य से संबंधित सामग्री जांच के लिए पंजाब कुरिकुलम एवं टेक्स्ट बुक बोर्ड के साथ साथ मज़हबी मुताहिदा उलेमा बोर्ड के पास भेजी जाएंगी, उसके बाद ही निजी स्कूल उसे अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर सकेंगे।
इस बोर्ड ने एक किताब पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है कि उसमें पाकिस्तान का नक्शा गलत छप गया है, जबकि एक गणित की किताब पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है कि गिनती सिखाने के लिए सुअर की तस्वीर लगाई गई है। बोर्ड के प्रबंध निदेशक राय मंज़ूर हुसैन नासिर का कहना है कि जब बकरी या कबूतर की तस्वीर लगाकर गिनती सिखाई जा सकती है तो सुअर की तस्वीर क्यों। इस्लाम में सुअर को घृणित जानवर के रूप में देखते हैं।
बहरहाल प्रतिबंधित किताबों की जांच के लिए 30 कमेटियों का गठन किया गया है। पंजाब कुरिकुलम एवं टेक्स्ट बुक एक्ट के अनुसार यदि प्रकाशकों पर यह दोष सिद्ध होता है कि उन्होंने जानबूझकर गैरइस्लामिक प्रतीकों या पाकिस्तान के बारे में गलत जानकारी प्रकाशित की है तो उन्हें दो साल की कैद की सजा भी हो सकती है। प्रकाशक इस बात से परेशान हैं कि उनकी किताबों पर प्रतिबंध लगाने के पहले उनके पक्ष को नहीं सुना गया।
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