पीएम मोदी बोले – रूल ऑफ लॉ सामाजिक ताने-बाने का आधार

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शनिवार को गुजरात हाई कोर्ट की हीरक जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अहम भूमिका की बात कही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया, ‘डिजिटल इंडिया मिशन आज काफी तेजी से हमारे न्याय प्रणाली को मॉडर्न बना रहा है। आज देश में 18,000 से अधिक कोर्ट कम्प्यूटराइज हो चुके हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट आज दुनिया में वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा सबसे अधिक सुनवाई करने वाला सुप्रीम कोर्ट बन गया है।

देश में आने वाले दिनों में ईज ऑफ जस्टिस और तेज़ी से बढ़े इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी एनआईसी के साथ मिलकर काम कर रही है। हमारे जस्टिस सिस्टम को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।’

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है. हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है ‘न्यायमूलं सुराज्यं स्यात’ यानी सुराज्य की जड़ ही न्याय में है।

उन्होंने कहा, ‘हमारी न्यायपालिका ने हमेशा संविधान की रचनात्मक और सकारात्मक व्याख्या करके खुद संविधान को मजबूत किया है। हमारी न्याय व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी हो।’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भविष्य के लिए न्याय प्रणाली की व्यवस्था को तैयार करने, इसके प्रभाव व स्पीड को बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग और आत्मनिर्भर अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ हम क्लाउड आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर रहे हैं जो न केवल सुविधाजनक न्याय बल्कि देश में लोगों की आरामदेह जिंदगी को भी बढ़ावा देगी।’  प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाईयां करने में गुजरात हाई कोर्ट ने उदाहरण स्थापित किया है।

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