पूर्वी यूपी को क्यों मथ रहे हैं PM नरेंद्र मोदी, आखिर क्या है चुनावी रणनीति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक रूप से यह राज्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए कितना अहम है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की पिछले 8 हफ्ते में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईस्टर्न यूपी का 6 बार दौरा कर चुके। ईस्टर्न यूपी को पूर्वांचल के नाम से भी जाना जाता है। जाहिर है बीजेपी इस चुनाव में पूर्वांचल की तरफ फोकस कर रही है और पूर्वांचल में राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ का गृह जिला भी पड़ता है।

पूर्वांचल से भाजपा को बड़ी उम्मीदें

अब सवाल यह है कि आखिर पूर्वांचल पर बीजेपी इतनी फोकस क्यों कर रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए पूर्वांचल को काफी अहम माना जाता है। इस क्षेत्र में पड़ने वाले 28 जिलों में 165 विधानसभा सीटें हैं। साल 2017 में बीजेपी ने राज्य के चुनाव में 115 से ज्यादा सीटें जीती थीं। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने इस इलाके में अच्छी-खासी सीटें जीती थीं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 315 सीटें जीती थीं।

पूर्वांचल पर बीजेपी की नजर क्यों है…तो इसका जवाब यह भी हो सकता है कि बीजेपी को वेस्टर्न उत्तर प्रदेश में सीटें गंवाने का डर भी सता रहा है। वेस्टर्न यूपी में 100 विधानसभा सीटें आती हैं। किसानों के एक साल से ज्यादा चले आंदोलन की वजह से इन क्षेत्रों में बीजेपी को नुकसान भी हो सकता है।

पूर्वांचल पर सपा की भी नजर

ऐसा नहीं है कि पूर्वांचल पर नजर सिर्फ बीजेपी की ही है। समाजवादी पार्टी भी यूपी के इन हिस्सों में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है। इस क्रम में पार्टी यहां की छोटी और जाति-आधारित पार्टियों से गठबंधन पर भी जोर दे रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी चुनावों में अपनी धमाकेदार प्रदर्शन से सत्ता की कुर्सी पाने की चाहत रखते हैं। इसलिए उन्हें सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल, अपना दल और जनवादी पार्टी से गठबंधन से भी कोई परहेज नहीं है।

ईस्टर्न यूपी से बाहर अखिलेश यादव की पार्टी ने सिर्फ राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन किया है। इसके अलावा सितंबर 2020 में सपा ने महान दल से भी गठबंधन किया था। बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेता केशव देव मौर्य ने महान दल बनाया है और बताया जाता है कि पूर्वांचल में इस दल का मौर्या, केशव, शाक्य और सैनी समुदाय पर ठीक-ठाक प्रभाव भी है।

राजभर फैक्टर

ओम प्रकाश राजभर की सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया है। फिलहाल यह पार्टी सपा के साथ है। महज 4 विधायकों वाली इस पार्टी का बीजेपी से अलग होना एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है। राजभर फैक्टर कितना अहम है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पूर्वांचर में अपने हालिया दौरे के दौरान पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद कहा कि अगर औरंगजेब यहां आता है तो एक शिवाजी भी जन्म लेते हैं।

अगर कोई सलार मसूद यहां आता है तो बहादुर योद्धा जैसे राजा सुहलदेव पूरे देश को गौरवान्वित करते हैं। इससे पहले इसी साल पीएम मोदी ने ईस्टर्न यूपी में राजा सुहलदेव की एक मूर्ति का अनावरण भी किया था। इसके अलावा केंद्र सरकार ने उनके नाम से स्टांप भी जारी किया था और एक सुपरफास्ट ट्रेन का नाम द सुहलदेव एक्सप्रेस भी किया गया था।

8 हफ्ते में पूर्वांचल 6 बार गए पीएम

-पीएम मोदी ने 20 अक्टूबर को कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का उद्घाटन किया था।
-25 अक्टूबर को पीएम ने ईस्टर्न यूपी में नौ मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया।
-16 नवंबर को पीएम ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया।
-07 दिसंबर को ईस्टर्न यूपी में कई नए प्रोजोक्ट्स का उद्घाटन किया गया।
-11 दिसंबर को पीएम मोदी ने सरयू कैनाल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। इस प्रोजेक्ट के जरिए गोंडा, बहराइच और बलरामपुर जिलों को जोड़ती हैं।
-इसके बाद पीएम दो दिनों की वाराणसी यात्रा पर गए।

बहरहाल कहा जा रहा है इस चुनाव में किसान आंदोलन और कोविड-19 के दौरान सरकार का मैनेजमेंट अहम मुद्दा होगा और इन दोनों ही मोर्चों पर बीजेपी को नुकसान भी पहुंच सकता है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कुछ खास समुदाय जिसमें ब्राह्रमण भी शामिल हैं वो बीजेपी के कामकाज से खुश नहीं हैं। बहरहाल इन सभी बातों के मद्देनजर बीजेपी की कोशिश है कि पूर्वांचल के इलाकों में चुनावों के ऐलान से पहले पार्टी की छवि को बेहतर बनाई जाए ताकि चुनाव में कही ना कही इसे भुनाया जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here