पूर्व सांसद का सदस्यों के पैरों पर गिरकर वोट मांगना भी काम नहीं आया, सपा की करारी हार

चंदौली। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के ठीक पहले एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ। इसमें चंदौली के सपा से पूर्व सांसद रामकिशुन यादव अपनी ही पार्टी के जिला पंचायत सदस्यों के आगे पैर पर गिरते दिख रहे है। जबकि अध्यक्ष पद के लिए जीत का जादुई आंकड़ा सपा के ही पास था, फिर भी सपा की करारी हार हो गई है। चंदौली से भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज कर ली है।

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए शनिवार को मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई। दिनभर चले उतार-चढ़ाव के बीच आखिकर भाजपा ने पहली बार कुर्सी पर कब्जा जमाने में सफलता हासिल की।

भाजपा प्रत्याशी दीनानाथ शर्मा 30 वोट पाकर जिपं अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वहीं पूर्व सांसद रामकिशुन के भतीजे सपा प्रत्याशी तेजनारायण यादव को मात्र पांच मतों पर ही संतोष करना पड़ा।  इस बार 35 जिला पंचायत सदस्यों में सपा को 12, भाजपा को आठ, बसपा को तीन और प्रमासपा को एक सीट मिली थी।

वहीं 11 सीट पर निर्दलीय जिपं सदस्यों का कब्जा रहा। ऐसे में अध्यक्ष के चुनाव में कांटे की टक्कर की उम्मीद थी। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद कयासबाजी पूरी तरह उलट गई। भाजपा ने एकतरफा मुकाबले में रिकॉर्ड मतों के साथ जीत दर्ज की।

पहली बार चंदौली जिपं अध्यक्ष पर खिला कमल 
जिला पंचायत के चुनाव में आखिरकार 21 साल बाद भाजपा को जीत हासिल हो गई। चंदौली जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा ने इस बार कब्जा जमाया। इस जीत के साथ ही भाजपाइयों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। जिपं चुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था।

इसमें भाजपा सभी चुनौतियों व बाधाओं को पार कर जीत का परचम लहराने में सफल रही। वाराणसी से पृथक होकर 1997 में चंदौली जिला सामने आया था। उस

वक्त सुषमा पटेल को प्रदेन कार्यभार मिलाा था। इसके बाद अध्यक्ष की सीट दो बार अध्यक्ष अनारक्षित और एक-एक बार पिछड़ी व अनुसूचित जाति के नाम आरक्षित रही। चंदौली जिपं अध्यक्ष पर सर्वाधिक तीन बार सपा का कब्जा रहा है। वहीं एक बार बसपा के खाते में कुर्सी रही है।

वर्ष 2000 में सपा की पूनम सोनकर, 2005 में अमलावती यादव और 2015 में सरिता सिंह अध्यक्ष चुनी गईं। वहीं 2010 में बसपा के छत्रबली सिंह अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए थे। जबकि दो दशक से भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका था।

इस बार जिपं

सदस्य के चुनाव में भाजपा को मात्र आठ सीट ही मिल सकी थी। जबकि 12 सदस्यों के साथ सपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आयी थी। वहीं तीन बागियों को शामिल कर सपा 15 सदस्यों का समर्थन पहले से ही हासिल करने का दावा कर रही थी। जिपं अध्यक्ष की अधिसूचना जारी होने के बाद से इस बार भी सपा के जीत की कयास लगाई जा रही थी।

सपा की ओर से पूर्व सांसद रामकिशुन के चचेरे भतीजे तेजनारायण यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया था। लेकिन भाजपा ने सपा के खेमे में ही सेंधमारी कर विजय पताखा फहराया। उम्मीद से विपरित एकतरफा मुकाबला देखने को मिला। कुल 35 में 30 वोट भाजपा के झोली में गए, वहीं सपा को मात्र पांच मत ही मिल सके। इस जीत के साथ ही भाजपा पहली बार जिपं अध्यक्ष कुर्सी पर काबिज हो गई।

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