औरैया/इटावा। आगरा से लेकर इटावा जनपद के बीच काफी क्षेत्र बीहड़ी क्षेत्र आता है। इस क्षेत्र में बहने वाली चम्बल जैसी नदी अपना प्रभाव रखती हैं। चम्बल में कई प्रकार के जीव-जंतु अपना बसेरा बनाए हुए हैं। वह यहां पर आकर अपने कुनबे को बढ़ाने का प्रयास करते हैं और जब उनका कुनबा बढ़ जाता है तो वह यहां से पूरे परिवार समेत अलग-अलग स्थानों को निकल जाते हैं। इन दिनों यहां पर कुकरैल प्रजनन का माफिक समय होने के चलते चम्बल में छोड़े जा रहे हैं।
इटावा-औरैया जिले की सीमाओं पर पंचनद इलाके में स्थित चम्बल क्षेत्र मौजूदा समय में घड़ियालों के बच्चों का जन्म काल (प्रजनन) का चल रहा है। इसलिए यहां पर वन विभाग के अधिकारी चौबीसों घंटे नजर जमाए हुए हैं। चम्बल क्षेत्र के अंतर्गत प्रतिवर्ष करीब एक सैकड़ा घड़ियालों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। जिसका प्रमुख कारण यह था कि चम्बल नदी घड़ियालों के अनुकूल वातावरण देते है और यहां का बीहड़ी किनारों के चलते शांत वातावरण उन्हें प्रजनन में काफी भांता भी है।
इस संबंध में चम्बल वार्डन दिवाकर प्रकाश श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि घड़ियालों का प्रजनन काल 15 मार्च से 15 अप्रैल तक होता है और इनके अंडों से करीब 60 दिन बाद बच्चे बाहर निकलते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में कुल वयस्क घड़ियालों की संख्या 1772 थी, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 1952 हो गई है। बीते एक वर्ष में वयस्क घड़ियालों की संख्या में अप्रत्याशित 180 की वृद्धि हुई है। जिससे यह आंकड़ा 1952 पर पहुंचा है। बताया कि प्रतिवर्ष इस समय 150 से 200 घड़ियाल बढ़ते दिख रहे हैं।
अंडों से निकलकर चम्बल के किनारे घूमते देख जा रहे घड़ियालों के बच्चे
जनपद इटावा से आगे बढ़ने पर औरैया की चम्बल सेंचुरी क्षेत्र में इन दिनों घड़ियालों के बच्चे चम्बल नदी के बीच पड़े खाली स्थान में विचरण करते हुए नजर आ रहे हैं। यह नजारा वन विभाग को बहुत ही रोमांचित कर देता है। चम्बल क्षेत्र के वार्डन दिवाकर प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया हैचिंग यानी बच्चों के निकलने के बाद पानी में छोड़ने का समय, को कहा जाता है। इस बार अभी तक लगभग 2800 सौ बच्चों को मादा घड़ियालों द्वारा नदी किनारे बीहड़ी क्षेत्र में जन्म दिए जाने के बाद निकालते हुए पानी में छोड़ दिया गया है और अभी कुछ अंडों से बच्चे बाहर आने शेष हैं। उनके अंडों से बाहर आने के बाद उन्हें भी चम्बल नदी में छोड़ दिया जाएगा।
घड़ियालों के लिए पंचनद का इलाका एशिया का सबसे बड़ा क्षेत्र
पंचनद के पास चम्बल सेंचुरी क्षेत्र एशिया का सबसे बड़ा इलाका है। यहां पर बीते 10 सालों से नैच्युरल हैचिंग (प्रजनन के बाद अंडों से बाहर आने वाले वयस्कों बच्चों को चम्बल में छोड़ने का कार्य) हो रहा है। इससे पूर्व अंडों को कुकरैल प्रजनन केंद्र लखनऊ भेजा जाता था। बताया तो यहां तक जाता है कि जब अंडों से घड़ियाल के बच्चे बाहर निकलते हैं तो उसके तीन माह तक वह कुछ भी भोजन ग्रहण नहीं करते हैं।