प्रमोशन की सिफारिश पत्‍नी पर पड़ गई भारी, गंवानी पड़ गई नौकरी

लखनऊ। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के घटक संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) में प्रोफेसर द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रमोशन पाने के प्रयास का मामला सामने आया है। आरोपित प्रोफेसर जांच में दोषी पाया गया। जिसके बाद विवि के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने निर्देश जारी कर प्रोफेसर पर निलंबन की कार्रवाई की गई है।

एकेटीयू के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने बताया कि आईईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में सतेंद्र सिंह बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत थे। सतेंद्र द्वारा कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत सह आचार्य से आचार्य पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत की गई थी।

इस के लिए सतेन्द्र द्वारा विभिन्न शैक्षिक एवं शोध संबंधित दस्तावेज लगाए गए थे। मगर चयन समिति द्वारा सतेंद्र सिंह को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह नहीं पाया गया। इसपर सत्येंद्र की पत्नी द्वारा शासन को शिकायत कर प्रोन्नति प्रक्रिया में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया। सत्येंद्र की पत्नी का कहना था कि उनकी पति सतेन्द्र की प्रोन्नति नियमानुसार की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई।

सत्येंद्र की पत्नि की शिकायत के बाद सत्येंद्र से संंबंधित शैक्षिक प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेज फिर से निकलवाए गए और उनकी जांच कराई गई। जिसमें सत्येंद्र द्वारा लगाए गए प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने का खेल सामने आया। विवि के प्रवक्ता डॉ आशीष मिश्र ने बताया कि जिन संस्थानो  के प्रमाणपत्र उनके द्वारा लगाए गए, उन संस्थानों द्वारा इन्हें कूटरचित बताया गया है।

ऐसे हालात में डॉ सतेन्द्र को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही प्रकरण की जांच के लिए एक त्रिसदस्यीय समिति बना दी  गयी है। समिति में एचबीटीयू के आचार्य प्रो. करुणाकर सिंह, विवि के डीन पीजी प्रो एमके दत्ता व विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार शामिल हैं। जांच समिति एक माह में प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट देगी।

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