नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एकांतवास में रह रहे प्रवासी मजदूरों, विदेश से लौटकर आए नागरिकों के लिए कोरोना की जांच के लिए पूल टेस्टिंग करने का फैसला किया है। पूल टेस्टिंग आरटी-पीसीआर टेस्ट आधारित होगा। इस बारे में मंत्रालय ने नए गाइडलाइन भी जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत एकांतवास में रखे गए प्रवासी मजदूरों, विदेशों से लौट कर आए नागरिकों और ग्रीन जोन में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए पूल टेस्टिंग की जाएगी।
इस पूल टेस्टिंग के तहत 25 लोगों के गले और नाक का सैंपल लिया जाएगा। ये सैंपल एकत्र करने की प्रक्रिया प्रशिक्षित लैब अधिकारियों द्वारा की जाएगी जो उचित पीपीई सूट के साथ दस्ताने, फेस शील्ड और एन-95 मास्क पहने होंगे। इन सैंपल की जांच रिपोर्ट आने के 24 घंटे के अंदर संबंधित क्वारेंटाइन सेंटर को इसकी सूचना दे दी जाएगी। दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर कोई पूल सैंपल पॉजिटिव पाया जाता है तो फिर उसमें सम्मिलित हर सैंपल की जांच की जाएगी।
क्या होती है पूल टेस्टिंग
पूल टेस्टिंग के तहत एक साथ कई लोगों के नाक और गले के स्वैब लिए जाते हैं और उनको मिक्स कर सैंपल बनाया जाता है। फिर इस सैंपल की जांच होती है, जिसमें पता लगाया जाता है कि सैंपल में कोरोना वायरस नेगेटिव या पॉजिटिव है। अगर सैंपल नेगेटिव आता है तो सभी व्यक्तियों को संक्रमण मुक्त माना जाता है। अगर पॉजिटिव आता है तो बारी-बारी से सभी व्यक्तियों का कोरोना टेस्ट किया जाता है। इस सुविधा से किट और लैब संबंधी आने वाली समस्या दूर हो जाएगी।