नई दिल्ली। देश में पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने हाहाकर मचाया हुआ है। इस बीच मोदी सरकार ने देश के स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) के एक हिस्से को री-एक्सपोर्ट करने के लिए एक बड़ा फैसला किया है। खबर के मुताबिक केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने देश के मौजूदा एसपीआर की आधी क्षमता का उपयोग प्राइवेट कंपनियों को करने की अनुमति दे दी है। कंपनियों को एसपीआर की आधी लिमिट लीज पर दी जाएगी।
भारत अभी अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। वह दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता है।इसके बाद सरकार ने दक्षिण भारत में तीन जगह पर एसपीआर बनाए हैं,जिसमें 50 लाख टन तक कच्चा तेल स्टोर किया जा सकता है।
सरकार ने एसपीआर इस कारण बनाया है, ताकि मुश्किल वक्त में देश में कच्चे तेल की आपूर्ति में दिक्कत नहीं आए। अभी मोदी सरकार की योजना ओडिशा के चंडीखोल और कर्नाटक के पादूर में भी एसपीआर बनाने की योजना है। इससे देश को उसकी जरूरत का 12 दिन का कच्चा तेल उपलब्ध होगा।
खबर के मुताबिक ये प्राइवेट कंपनियां एसपीआर की आधी लिमिट को लीज पर लेंगी और इस में रखे कच्चे तेल को फिर से निर्यात करेगी। एसपीआर लीज पर लेने वाली कंपनियां 15 लाख टन कच्चे तेल का ही फिर से एक्सपोर्ट कर सकेंगी। खबर हैं कि सरकार देश में नए एसपीआर खड़े करना चाहती है। उसकी मंशा इसमें निजी भागीदारी को बढ़ाने की है।
इस माह कैबिनेट की बैठक में दो नए एसपीआर बनाने के लिए सरकार ने 80 अरब रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की है। ये इन दोनों एसपीआर की अनुमानित लागत का करीब 60 प्रतिशत है। देश में एसपीआर बनाने की जिम्मेदारी इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) के पास है। कंपनी को 10 लाख टन तक कच्चा तेल घरेलू कंपनियों को बेचने की अनुमति है।
बात दें कि देश में मंगतुरू में बने एसपीआर की आधी लिमिट सरकार पहले ही लीज पर दे चुकी है।ये लीज अबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी के पास है। कंपनी इस 15 लाख टन के तेल भंडार से 7.5 लाख टन तक कच्चे तेल का पुन: निर्यात कर सकती है। हालांकि कंपनी को भारतीय रिफाइनरीज को ये कच्चा तेल बेचने में दिक्कत आई थी।