ये सीन फिल्म गरम मसाला का है। वीडियो में जाॅन अब्राहम के साथ दिख रही एक्ट्रेस नीतू चंद्रा हैं। आज की स्ट्रगल स्टोरी में कहानी इन्हीं नीतू चंद्रा की है। उनकी लाइफ जर्नी को हमने 10 बड़े किस्सों में समेटा है।
कहानी में आगे बढ़ने से पहले एक नजर नीतू के करियर पर-
फिल्मों में आने से पहले नीतू ताइक्वांडो करती थीं। फिर उनकी बेहतरीन स्माइल से उन्हें ऐड फिल्म्स मिलने लगे। इन्हीं ऐड के सहारे उन्होंने फिल्मों तक का सफर तय किया।
2005 में रिलीज हुई फिल्म गरम मसाला से उन्होंने बाॅलीवुड डेब्यू किया। हिंदी समेत तमिल, तेलुगु, कन्नड़, ग्रीक और हाॅलीवुड में भी अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ी।
हालांकि इसके बाद भी हर कदम पर नीतू को संघर्ष का सामना करना पड़ा। 2011 के बाद वो किसी भी हिंदी फिल्म में नहीं दिखीं। काम की तलाश में कई प्रोड्यूर्स के चक्कर काटे।
हॉलीवुड फिल्म में काम करने के बाद भी बाॅलीवुड में खुद को प्रूफ करने में फेल रहीं। इसी बात का फायदा उठाते हुए एक बिजनेसमैन ने 25 लाख महीने की सैलरी पर शादी करने का ऑफर भी दिया। जैसे-तैसे वो हर बार इन चुनौतियों से लड़ती रहीं। फिलहाल वो अपने भाई के साथ खुद के प्रोडक्शन हाउस में काम कर रही हैं।
दोपहर करीब 3 बजे मेरी उनसे मुलाकात हुई। थोड़ी औपचारिकता के बाद उन्होंने अपनी लाइफ जर्नी के बारे में बताना शुरू किया।
किस्सा 1- बिहार में जन्मी, स्पोर्ट्स से प्यार
मेरा जन्म पटना, बिहार के एक संयुक्त परिवार में हुआ। मैं लगभग 25-30 लोगों के बीच पली-बढ़ी हूं। परिवार का कंस्ट्रक्शन बिजनेस था। पापा, चाचा समेत सभी लोग ये काम करते थे। 9 भाईयों में सिर्फ 2 लड़कियां थीं लेकिन कभी किसी चीज के लिए हमें रोका नहीं गया।
बचपन ही मेरा झुकाव स्पोर्ट्स की तरफ रहा। मैं तायक्वोंडो में ब्लैक बेल्ट में चैंपियन रही हूं। जब मैं नौवीं क्लास में थी, तब हॉन्ग कॉन्ग, चाइना में इंडिया को रिप्रेजेंट किया था। इसी को लेकर पापा थोड़ा मां से नाराज होते थे। उनका मानना था कि लड़की हूं, खेलते वक्त चोट लग गई तो आगे चलकर दिक्कत होगी।
पापा की इन बातों पर मां ज्यादा ध्यान नहीं देती थीं। एक वही थीं जिन्होंने इन चीजों के लिए मुझे हर मोड़ पर प्रोत्साहित किया। शायद यही कारण रहा कि मैं मार्शल आर्ट और स्पोर्ट्स में आगे रही। बिहार जैसे राज्य में उस समय ये सारी चीजें असामान्य थीं। बता दूं, मैं बॉलीवुड की पहली ब्लैक बेल्ट एक्ट्रेस हूं।
किस्सा 2- स्पोर्ट्स की बदौलत कॉलेज में एडमिशन मिला
परिवार में पढ़ाई को लेकर बहुत सख्ती थी। भले ही मैं स्पोर्ट्स में अच्छी थी लेकिन इसके साथ पढ़ाई में अच्छा होना जरुरी था। घर में 3-4 भाई IIT क्वालिफाई कर चुके हैं। 12वीं तक की पढ़ाई मैंने बिहार से की। इसके बाद दिल्ली आ गई। बिहार से ज्यादातर लोग आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली जाना पसंद करते हैं।
यहां पर जब मैं इंद्रप्रस्थ काॅलेज गई तो उन लोगों ने एडमिशन देने से मना कर दिया। उनका कहना था कि 62% के साथ मेरा एडमिशन नहीं हो सकता। फिर मैंने अपने स्पोर्ट्स के सर्टिफिकेट दिखाए जिसके बाद स्पोर्ट्स कोटे पर मुझे एडमिशन और हाॅस्टल दोनों मिल गए। कॉलेज में भी स्पोर्ट्स चैंपियन, मिस फ्रेशर और मिस हाॅस्टल रही।
किस्सा 3- 5000 रुपए की खातिर ऐड में काम किया
10वीं के बाद मैंने कभी भी घर से पैसे नहीं लिए। दिल्ली आने के बाद मैं यहां प्रदीप मैदान में पैम्फलेट बेचती थी। यहां पर मुझे एक घंटे के लिए 200 रुपए मिलते थे। ज्यादातर काम शनिवार और रविवार को ही मिलता था।
ये पैम्फलेट बेचना मेरे लिए लकी साबित हुआ। इसी दौरान मुझ पर प्रदीप सरकार की बहन मधु सरकार की नजर पड़ी। उन्होंने कहा कि मेरी स्माइल बहुत अच्छी है, एक्टिंग में ट्राई करना चाहिए। ये सुनकर मैं खुश हुई लेकिन उन्हें बताया कि इससे पहले मैंने कोई ऐड नहीं किया है। सिर्फ स्कूल के नाटकों का हिस्सा रही हूं।
उन्होंने कहा कि वो एक ऐड के लिए 5 हजार रुपए देंगी। ये सुन मैं खुश हो गई। सोचा कि अगले कुछ दिनों का मेरा और मेरे दोनों सगे भाइयों का खर्चा निकल जाएगा जो साथ में दिल्ली रहते थे। फिर मैंने ये ऐड किया। इसके बाद ऐड करने का सिलसिला जारी रहा। अमिताभ बच्चन के साथ मैंने पार्कर पेन का ऐड शूट किया था। इस ऐड को प्रियदर्शन ने डायरेक्ट किया था।
किस्सा 4- मुंबई का संघर्ष, वैन में रहकर 15 दिन गुजारे
मैंने सपने में भी नहीं सोचा कि किस्मत ऐसा टर्न लेगी। ऐड के सिलसिले में मुंबई जाने लगी। धीरे-धीरे ये शहर मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। एक्टिंग को भी एंजॉय करने लगी। तब मां से कहा कि मुझे मुंबई जाना है और एक्टिंग करनी है। हमेशा की तरह इस वक्त भी मां ने मेरा सपोर्ट किया।
जब नई-नई मुंबई आई थी, तो लोग कहते थे- अरे, बिहार की लड़की आई है, वो भी बस 17 साल की ही है। हालांकि इस चीज से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मुझे परिवार का पूरा सपोर्ट था।
मैं इस बात से बिल्कुल मना नहीं करुंगी कि मुंबई में मैंने स्ट्रगल फेस नहीं किया है। सिर्फ 3 हजार रुपए लेकर यहां आई थी। शुरुआत के दो-तीन महीने होटल, लॉज या दोस्त के यहां रही। मैं नई-नई थी, इसलिए कोई पीजी भी नहीं देता था। मुंबई में किसी बैचलर के लिए घर मिलना बहुत मुश्किल है। हॉस्टल में रहने के लिए भी बहुत लंबी प्रोसेस होती है।
इसके बाद तो 15 दिन मारुति वैन में भी रहना पड़ा। दरअसल, कुछ समय बाद मेरा एक दोस्त बना। जब मैंने उसे बताया कि घर की सख्त जरूरत है तो उसने कहा- पार्किंग में मेरी मारुति वैन पड़ी है, तुम इसी में रह लो। मैंने कहा कि ठीक है, जब तक घर नहीं मिलता, तब तक इसी में रह लेती हूं। मेरी बात सुन सब हंसने लगे। बहरहाल, किसी तरह 15 दिन मारुति वैन में गुजारी।
किस्सा 5- कैटलॉग शूट से खर्चा चलाया
सबसे बड़ा संघर्ष तो पैसे को लेकर होता था। इससे मैं भी अछूती नहीं रही। कुछ समय बाद सारी सेविंग्स खत्म हो गई। कोई बड़ा काम भी नहीं मिल रहा था, इसलिए साड़ी कैटलॉग के लिए शूट करने लगी। एक साड़ी के शूट के लिए 500 रुपए मिलते थे।
पैसों की सख्त जरूरत थी तो एक दिन में मैं 15 से 20 साड़ियों के लिए शूट करती थी। इस तरह से मैंने कुछ दिन का खर्चा निकाला।
किस्सा 6- डायरेक्टर प्रियदर्शन ने बदल दी किस्मत
एक दिन मैं घर में थी, तभी कॉल आया। कॉल उठाते ही सामने आवाज आई- मैं प्रियदर्शन बोल रहा हूं। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो मुझे कॉल करेंगे। फिर जब उन्होंने दोबारा कहा कि वो डायरेक्टर प्रियदर्शन बोल रहे हैं, तब मैं शॉक्ड रह गई। उन्होंने बताया कि वो फिल्म गरम मसाला बना रहे हैं जिसमें वो अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम के अपोजिट तीन नई लड़कियों को लॉन्च कर रहे हैं। तीन लड़कियों में वो मुझे भी लॉन्च करना चाहते हैं। ये सुन मैं फूले नहीं समाई और झट से फिल्म के लिए हां कर दिया। इस तरह से मेरा फिल्मी डेब्यू हुआ।
किस्सा 7- काम मिलना बंद हुआ
2011 के बाद मुझे हिंदी फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया। मैं नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्मों का हिस्सा रही, इसके बावजूद काम के लिए भटकना पड़ा।
बड़ी मुश्किल से मुझे तमिल, तेलुगु और कन्नड़ की 1-2 फिल्मों में काम करने का मौका मिला। एक वक्त ऐसा आया कि मेरे पास कोई काम नहीं रहा। मैं इन चीजों से टूट गई। समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या और क्यों हो रहा है। इतने बेहतरीन प्रोजेक्ट्स का हिस्सा होने के बाद मेरी हालत इतनी खराब हो गई थी।
थक हारकर मैंने इरफान खान को कॉल किया। उन्होंने अपने मैनेजर का नंबर दिया लेकिन फिर भी बात नहीं बनी। आज तक इस बात का पता नहीं चला कि मुझे अचानक से काम मिलना क्यों बंद हो गया।
किस्सा 8- हाॅलीवुड में एंट्री मिली, वीजा पाने के लिए बहुत स्ट्रगल किया
मैंने ब्लैक बेल्ट में माहिर हूं और इसी हुनर ने मुझे हॉलीवुड फिल्म नेवर बैक डाउन: रिवोल्ट दिलवाई। फिर एक नई मुसीबत सामने आ गई। काम मिला लेकिन शूटिंग के लिए लंदन जाने के लिए वीजा ही नहीं मिल रहा था। इसके लिए मैं पहले मुंबई एम्बेसी गई लेकिन वहां बात नहीं बनी। फिर मैं दिल्ली आई। काफी चक्कर काटने पड़े लेकिन मैंने हार नहीं मानी। सोचा था कि अगर वीजा नहीं मिला तो धरने पर बैठ जाऊंगी, लेकिन लंबे संघर्ष के बाद वीजा मिल गया।
पहले से कुछ सेविंग्स थी, कुछ लोगों से पैसे उधार लेकर लंदन चली गई। यहां 1 डिग्री तापमान पर शूटिंग करती थी लेकिन चेहरे पर कोई शिकन नहीं लाती थी। पता था कि अगर बेहतर नहीं कर पाऊंगी तो फिल्म से निकाल दी जाऊंगी, इसलिए एक्शन सीन की शूटिंग के वक्त चोट खाकर भी काम करती रहती थी। वहां पर मुझे रंगभेद का भी सामना करना पड़ा।
किस्सा 9- एक बिजनेसमैन ने काम के बदले शादी करने का ऑफर दिया
हॉलीवुड फिल्म करने के बाद मुझे लगा कि अब मेरा करियर फिर से पटरी पर आ जाएगा। हिंदी फिल्मों की ऑफर फिर से मिलने लगेंगे। हालांकि मेरी ये सोच गलत साबित हुई।
वापस आने के बाद फिर से काम की कमी हो गई। कोई ऐसा डायरेक्टर नहीं था जिसे मैंने काम के लिए अप्रोच ना किया हो। कुछ ने तो जवाब देना ही बंद कर दिया था।
कईयों ने तो मेरी हिम्मत तोड़ने की भी कोशिश की। एक डायरेक्टर थे, जिनके साथ मैंने कभी काम नहीं किया था। उन्होंने मुझे एक फिल्म ऑफर की। कहा कि इसके लिए ऑडिशन देना होगा। मैंने ऑडिशन के लिए तैयार हो गई। ऑडिशन दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने ऐसा सिर्फ मेरी हिम्मत तोड़ने के लिए किया।
इसी दौरान एक बिजनेसमैन से मेरा सामना हुआ। मुलाकात के दौरान उन्होंने मुझे कहा कि वो मेरे लिए फिल्मों की फंडिंग करेंगे। ये सुन मैं खुश हो गई। लगा कि कोई तो मेरे टैलेंट को समझा। फिर जो उन्होंने कहा, वो सुन मेरे होश उड़ गए। उन्होंने कहा कि इसके लिए मुझे उनसे शादी करनी होगी, बदले में मुझे 25 लाख रुपए हर महीने मिलेंगे। मतलब मैं उनकी सैलरीड वाइफ बन जाऊं। इस ऑफर को मैंने सिरे से ठुकरा कर दिया। मैंने कहा कि मरना पसंद करुंगी लेकिन ऐसे काम कभी नहीं करुंगी।
समय के साथ इन चीजों से बाहर आई। कभी-कभी बहुत टूटी लेकिन खुद को बाहर निकाला।
किस्सा 10- खुद के प्रोडक्शन हाउस में बनी फिल्म को नेशनल अवाॅर्ड मिला
फिलहाल भाई के साथ मैं एक प्रोडक्शन हाउस चला रही हूं। इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले हमने फिल्म मिथिला मखान बनाई थी जो बिहार की संस्कृति पर बेस्ड थी। इस फिल्म को नेशनल अवाॅर्ड मिला है। तीसरी फिल्म ‘वैलून’ रेडी हो रही है। यह बच्चों की फिल्म भोजपुरी भाषा में होगी। इसमें हिंदी फिल्मों के दिग्गज कलाकार हैं। इसे यूपी और बिहार में शूट करने की प्लानिंग है।