बजट 2021: अनौपचारिक क्षेत्र के वर्कर्स के लिए रजिस्ट्री बना सकती है सरकार

नई दिल्ली। कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर अनौपचारिक क्षेत्र के वर्कर्स और प्रवासी कामगारों पर पड़ा था। इस दौरान बड़ी संख्या में वर्कर और प्रवासी कामगार बेरोजगार हो गए थे। इनकी मदद के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई वेलफेयर स्कीम लॉन्च की थीं। लेकिन कोई डाटाबेस ना होने के कारण बड़ी संख्या में वर्कर्स को इन स्कीम का लाभ नहीं पहुंच पाया था।

केंद्र सरकार अब इस समस्या के समाधान के लिए अनौपचारिक क्षेत्र के वर्कर्स और प्रवासी कामगारों का रजिस्ट्री या डाटाबेस बना सकती है। इसकी घोषणा 1 फरवरी को पेश होने वाले आगामी केंद्रीय बजट में की जा सकती है।

25 करोड़ वर्कर्स का डाटाबेस तैयार करने की उम्मीद

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के तहत केंद्र सरकार करीब 25 करोड़ अनौपचारिक वर्कर्स और प्रवासी कामगारों का डाटाबेस तैयार कर सकती है। इस डाटाबेस से सरकार को वर्कर्स और प्रवासी कामगारों तक वेलफेयर स्कीम का लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी।

इस मामले से वाकिफ दो अधिकारियों के मुताबिक, इस रजिस्ट्री के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी श्रम कल्याण निदेशालय को दी जा सकती है। यह निदेशालय वेलफेयर स्कीम, पेंशन लाभ और अन्य सोशल सिक्युरिटी स्कीम्स को लागू करने में केंद्र और राज्य सरकारों की मदद करेगा।

760 करोड़ रुपए खर्च होने के अनुमान
अधिकारियों के मुताबिक, इस स्कीम को लागू करने में करीब 760 करोड़ रुपए का खर्च होने का अनुमान है। स्कीम के तहत अनौपचारिक क्षेत्र के वर्कर एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (ESIC) के पास रजिस्ट्रेशन कराएंगे। इस रजिस्ट्रेशन के साथ ही वर्कर्स को ESIC की ओर से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

मौजूदा समय में ESIC केवल औपचारिक क्षेत्र के कामगारों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है। 10 या इससे अधिक कर्मचारियों वाली इंडस्ट्री को इसका लाभ मिलता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में अनौपचारिक वर्कर्स की संख्या करीब 40 करोड़ है।

बजट में दिखेगा कोविड-19 का प्रभाव

एक अधिकारी का कहना है कि वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में कोविड-19 का कुछ प्रभाव दिखेगा। आर्थिक सुधार के उपाय और कल्याणकारी उपाय, दोनों नीतिगत घोषणाओं में सीधा संबंध है। अधिकारी का कहना है कि अनौपचारिक क्षेत्र के वर्कर्स के वेलफेयर के लिए एक राष्ट्रीय डाटाबेस या रिपॉजिटरी काफी निर्णायक साबित होगी। इस रिपॉजिटरी में 16 से 59 साल के वर्कर्स का डाटा होगा। यह ऐसे वर्कर होंगे जो ESIC या एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के पास रजिस्टर नहीं हैं।

CSC के जरिए कराया जा सकता है रजिस्ट्रेशन

अधिकारियों के मुताबिक, वर्कर देशभर में फैले 3 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के जरिए रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। इसके अलावा पोस्ट ऑफिस के 5 लाख से ज्यादा बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट के जरिए भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा। इस मामले से वाकिफ दोनों अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 से दो प्रमुख समस्याएं सामने आई हैं।

इसमें पहली रिवर्स माइग्रेशन और दूसरी अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक स्ट्रक्चर्ड सहायता प्रणाली की कमी शामिल है। इस समुदाय तक पहुंचने के लिए ना तो कोई डाटाबेस, ना कोई स्ट्रक्चर और ना ही कोई इन्फॉर्मेशन सिस्टम उपलब्ध है।

वर्कर्स को इन स्कीम्स का लाभ मिल सकेगा

एक अधिकारी के मुताबिक, यह डेटाबेस तैयार होने के बाद वर्कर्स को करीब आधा दर्जन वेलफेयर स्कीम्स का लाभ मिल सकेगा। इसमें प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन स्कीम, छोटे व्यापारियों और स्वरोजगारों के लिए पेंशन स्कीम, अटल बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना प्रमुख रूप से शामिल हैं।

इसके अलावा वर्कर्स को वैकल्पिक तौर पर ESIC और EPFO के लाभ दिए जा सकते हैं। हालांकि, श्रम मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है।

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