जयपुर। सचिन पायलट को कांग्रेस के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष से हटाने के बाद कांग्रेस ने उन्हें अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। असेंबली स्पीकर ने बुधवार को कांग्रेस की शिकायत पर पायलट समेत 19 असंतुष्ट विधायकों को नोटिस जारी किया है। उनसे शुक्रवार तक जवाब मांगा गया है।
नोटिस में पूछा गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और कांग्रेस विधायकों की दो बैठकों में शामिल नहीं होने पर उन्हें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए? इस बीच, सचिन पायलट ने कहा कि वे भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अभी भी मैं कांग्रेस का मेंबर हूं। कुछ लोग मेरा नाम भाजपा से जोड़ रहे हैं। मेरी इमेज खराब करने की कोशिश की जा रही है। मैंने राजस्थान में कांग्रेस की वापसी के लिए बहुत मेहनत की थी, लेकिन बाद में मेरी बात सुनी नहीं गई।’
पार्टी के अंदर अपनी बात कहने का मंच नहीं बचा था
- पायलट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री गहलोत से नाराज नहीं है। उन्होंने गहलोत से कोई खास ताकत भी नहीं मांगी थी। वह बस चाहते थे कि जनता से किए गए वादे पूरे किए जाएं। उनसे जब पूछा गया कि आखिर उन्होंने बगावत क्यों की? पार्टी के अंदर चर्चा क्यों नहीं की? जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर चर्चा का कोई मंच बचा ही नहीं था।
- राहुल गांधी ने इस मामले में दखल दिया? आपकी उनसे बात हुई? जवाब में कहा कि राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं। राहुल ने जब से इस्तीफा दिया, गहलोत जी और उनके एआईसीसी के दोस्तों ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तभी से मेरे लिए आत्मसम्मान मुश्किल हो गया था। ये सत्ता नहीं बल्कि आत्मसम्मान की बात थी।
अपडेट्स
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज नए सिरे से कैबिनेट के गठन पर काम शुरू कर सकते हैं। इसके लिए दोपहर तक मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हो सकती है।
राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।