विश्वास करना कठिन हो रहा था कि पानी अपने रंग को बदल रहा है। लेकिन दुनिया के आठवें आश्चर्य को अपनी आंखों से देखते हुए कभी कभार यूं लगता कि आंखें भी धोखा खा रही हैं। लेकिन यह सब अक्षरशः सच था कि पानी ने अपना रंग बदला था और वह भी उस समय जब सूर्य या आदमी अपने आप को हिलाता था।
इस दुनिया के आठवें आश्चर्य को देखने के लिए आदमी को भारत-चीन सीमा पर स्थित इस झील के किनारे किनारे आगे पीछे होना पड़ता था ताकि वह विश्वास न किए जाने वाले तथ्य पर भी विश्वास करने को मजबूर हो जाए।
यह सब महज एक सपना या जादू नहीं है बल्कि हकीकत है कि सात रंगों में अपने पानी को बदलने वाली झील भी इस दुनिया में मौजूद है। और सतरंगी झील का प्यारा का नाम है- पांगोंग सो। (सो-को लद्दाखी भाषा में झील कहा जाता है।) एक और आश्चर्यजनक पहलू इस झील का यह है कि यह विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित नमकीन पानी की झील भी है जिसे देख आदमी स्वर्ग की छटा को भी भूलने को मजबूर हो सकता है।
पूरी तरह से प्राकृतिक तौर पर बनी विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित इस झील का क्षेत्रफल भी कम नहीं है बल्कि यह एक समुद्र के समान है जिसकी लंबाई 150 किमी के लगभग है। हालांकि आधिकारिक रिकार्ड में यही लंबाई दर्ज है मगर आम लोगों (जो उसके आसपास के गांवों में रहते हैं) के अनुसार यह 138 किमी लंबी है और चौड़ाई भी कुछ कम अचंभित करने वाली नहीं है। 700 फुट से लेकर 4 किमी की चौड़ाई लिए यह झील समुद्रतल से 14256 फुट की ऊंचाई पर स्थित है जो बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख की राजधानी लेह से करीब 160 किमी की दूरी पर है।
समुद्र रूपी इस झील का सफर कोई आसान नहीं है। कई ऊंचे ऊंचे दर्रों को पार करना पड़ता है जिसमें सबसे ऊंचा दर्रा 17350 फुट की ऊंचाई पर है। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ ऊंचे दर्रे ही इसकी राह में हैं बल्कि मन को लुभावने वाले रेतीले और पथरीले पहाड़ भी नजर आ जाते हैं। सितम्बर के दूसरे सप्ताह में ही इन पर्वतों पर बर्फ अपनी चादर बिछा देती है।