बलिया : गांव-गांव फैला ‘कोरोना माई’ का अंधविश्वास, महिलाएं कर रहीं खेतों में पूजा

-जिले में 57 लोगों में हो चुकी है कोरोना की पुष्टि, 21 एक्टिव केस
 
बलिया। कोरोना की महामारी से निपटने को एक तरफ दवाओं का सहारा लिया जा रहा है तो वहीं दुआओं को भी आजमाने से लोग नहीं चूक रहे। कथित रूप बिहार से चली ‘कोरोना माई’ बलिया में भी पूजी जाने लगी हैं। महिलाओं का यह ‘अंधविश्वास’ तेजी से पांव पसार रहा है।
समूचे देश में करोना वायरस महामारी दिन-प्रतिदिन फैल रहा है। सिर्फ बलिया की ही बात करें तो यहां 24 सौ से अधिक कोरोना संदिग्धों के नमूने लिए जा चुके हैं, जिनमें से 57 में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। 31 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं। अभी भी 21 एक्टिव केस जिले में हैं। कोरोना केस मिलने का सिलसिला जारी है। शहर से लेकर गांव तक केस मिल रहे हैं।
इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी के आते ही महिलाओं द्वारा इसे ‘करोना माई’ का प्रकोप मानकर खेतों में पूजा-पाठ करने सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसके पीछे बताया जा रहा है कि विगत दिनों बिहार में वायरल हुए एक वीडियो की भूमिका है, जिसमें करोना माई को पूजने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
अफवाह, “बिना जोते खेत में पूजन सामग्री दबाने से दूर रहेगी बीमारी”
जिला चूंकि बिहार से सटा हुआ है। लिहाजा ‘कोरोना माई’ का अंधविश्वास जिले में आसानी से प्रवेश कर गया। बैरिया क्षेत्र से होते हुए सिकंदरपुर समेत जिले के अन्य ग्रामीण अंचलों में कोरोना माई को मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। गांव के महिलाओं का अंधविश्वास है कि करोना माई की पूजा शुक्ल पक्ष के सोमवार व शुक्रवार को नौ लड्डू, नौ फूल, नौ छाक, अगरबत्ती व धूप आदि से बिना जोते हुए खेत करने से कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं होगा। महिलाएं मान रही हैं कि इन सभी पूजन सामग्रियों को खेत में एक गड्ढा खोदकर जमीन में दबा देने से करोना माई का प्रकोप खत्म हो जाएगा।
मिठाई दुकानों के लौटे ‘अच्छे दिन’
कोरोना माई की पूजा के इस अफवाह से भले ही कोरोना बीमारी न भागे, करीब तीन माह से भुखमरी के कगार पर आ चुके मिठाई के दुकानदारों की जिंदगी पटरी पर लौटती दिख रही है। मिठाई की दुकानों पर सोमवार व शुक्रवार को लड्डू खरीदने की भीड़ से इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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