ढाका: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार है। यूनुस सरकार देश को आजाद कराने वाले बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का नाम मिटाने में लगी है। अगस्त में प्रधान मंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद भी देश में फूट देखने को मिली है। शेख हसीना बांग्लादेश से अगस्त की शुरुआत में भारत आ गई थीं। लेकिन उनके आने के बाद भी उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियां, तस्वीरें प्रदर्शनकारियों के हमले का शिकार होती रहीं। कोई भी ऐसी चीज जो बांग्लादेश को उसकी आजादी की याद दिलाए उसे खत्म करने की कोशिश की गई।
अब इस क्रम में बांग्लादेश के राष्ट्रपति कार्यालय से मुजीबुर रहमान की फोटो हटा दी गई है। यह दिखाता है कि मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार छात्र नेताओं के आगे झुक गई है। मुजीबुर रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बनाया। आजादी को लेकर भी बांग्लादेश का समाज बंटा हुआ रहा है। बड़ी संख्या में लोगों ने पाकिस्तानी नियंत्रण को समाप्त करने के लिए लड़ाई लड़ी। वहीं आबादी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का भी समर्थन करता रहा।
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद, बांग्लादेश का झुकाव पाकिस्तान, उसके संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना और उर्दू की ओर हुआ। इससे खुद को बचाने के लिए ही बांग्लादेश ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के पीछे का मास्टरमाइंड माने जाने वाले छात्र नेता महफूज आलम ने रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि दरबार हॉल से मुजीबुर रहमान की फोटो हटा दी गई है। उसने पोस्ट में दरबार हॉल की फोटो शेयर की, जहां से मुजीब की फोटो गायब थी।
इस कदम से कई बांग्लादेशियों समेत विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को झटका लगा है। बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रुहुल कबीर रिजवी ने फोटो हटाने की निंदा की। हालांकि कुछ समय बाद वह अपने बयान से पलटते दिखे। बाद में उन्होंने कहा कि यह कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की ओर से रीसेट बटन दबाने जैसा प्रतीत होता है। अंतरिम सरकार ने शेख मुजीब के जन्म और निधन से जुड़ी छुट्टियों को रद्द कर दिया है। सरकार ने नोटों से शेख मुजीब का चेहरा हटाने के लिए उसे फिर डिजाइन किया है।