वॉशिंगटन। 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले जो बाइडेन ने पहला मिलिट्री एक्शन लिया। शुक्रवार तड़के अमेरिकी एयरफोर्स ने सीरिया में हमले किए। यह बमबारी सीरिया के उन दो क्षेत्र या कहें अड्डों पर की गई, जो ईरान समर्थित आतंकी गुटों के कब्जे में हैं और जहां से दो हफ्तों में दो बार इराक में अमेरिकी एयरबेस पर रॉकेट दागे गए थे। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि अमेरिकी एयरस्ट्राइक में आतंकी गुटों को कितना नुकसान हुआ।
कई आतंकी मारे गए
एयरस्ट्राइक के बाद CNN से बातचीत में एक अमेरिकी अफसर ने कहा- हमले में कई आतंकी मारे गए हैं। उन्हें काफी नुकसान हुआ है। उनके अड्डे तबाह कर दिए गए हैं। इससे ज्यादा जानकारी फिलहाल नहीं दी सकती। हम साफ कर देना चाहते हैं कि किसी तरह की आतंकी हरकतें अमेरिका सहन नहीं कर सकेगा। हमारे रक्षा मंत्री जनरल लॉयड ऑस्टिन पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने की कोई भी साजिश कामयाब नहीं होने दी जाएगी।
दुनिया को मैसेज है ये हमला
बाइडेन को ट्रम्प की तुलना में सॉफ्ट प्रेसिडेंट कहा जा रहा है। उन्होंने पद संभालने के बाद ईरान को लेकर सख्त रवैया दिखाया है। ईरान के आतंकी गुटों ने दो हफ्तों के दौरान दो बार इदलिब में अमेरिकी एयरबेस के करीब हमले किए थे। एक व्यक्ति की मौत हुई थी। CNN की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिकी हमला साफ तौर पर दुनिया के उन देशों को यह मैसेज है कि किसी तरह की आतंकी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। पेंटागन के प्रवक्ता माइक किर्बी ने कहा- ये हमले राष्ट्रपति के ऑर्डर पर किए गए हैं।
ईरान से तनाव बढ़ेगा
सीरिया में ईरान के आतंकी गुटों के कई ठिकाने हैं। इनका इस्तेमाल सीरियाई सरकार और सेना करती है। यहीं से इराक में मौजूद अमेरिकी फौजियों को भी निशाना बनाया जाता है। हालांकि, ईरान सरकार ने हमेशा इस तरह के हमलों में अपना हाथ न होने की बात कही है, लेकिन अमेरिकी सरकार का दावा है कि ईरान की मदद के बिना इन्हें अंजाम देना नामुमकिन है।
अमेरिका और ईरान के बीच पहले ही तनाव है। ईरान अपना एटमी हथियार प्रोग्राम तेज रफ्तार से बढ़ा रहा है। अमेरिका के इस हमले के बाद यह तय माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा और ईरान की यह गलतफहमी भी दूर हो जाएगी कि बाइडेन पुराना समझौता लागू करेंगे।