पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में विरासत की जंग और तेज हो गई है। पार्टी के बागी गुट ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करने के बाद पशुपति पारस को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का एलान कर दिया है। पटना में चुनाव प्रभारी सूरजभान के आवास पर चुनाव में अकेला प्रत्याशी होने के कारण पारस का निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित होना तय था। अब पारस गुट चुनाव आयोग के समक्ष असली एलजेपी होने का दावा करेगा।
अध्यक्ष के चुनाव के बाद पशुपति पारस और समर्थक सांसद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने भी जा सकते हैं। इस बीच चिराग पासवान दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। साथ ही चिराग की ओर से और बागियों को भी बर्खास्त करने की तैयारी चल रही है। पारस को संसदीय दल का नेता बनाने का विरोध करते हुए चिराग पासवान पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिख चुके हैं।
एलजेपी सांसद सूरजभान के आवास पर आज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ। इसके लिए पशुपति पारस अकेले उम्मीदवार थे। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद शाम पांच बजे पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी गई। सूरजभान सिंह के भाई व सांसद चंदन सिंह ने कहा है कि पूरी पार्टी पारस के साथ है। जैसे हर पार्टी का नेतृत्व बदलता है, उसी तरह एलजेपी में भी हो रहा है।
अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद पशुपति पारस देर शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें अपना समर्थन दे सकते हैं। हालांकि, बिहार विधानसभा में एलजेपी का एक भी विधायक नहीं रहने के कारण इस समर्थन का केवल सांकेतिक अर्थ ही होगा। पशुपति पारस ने अध्यक्ष चुने जाने के बाद मीडिया से मुखातिब होकर अपनी बात भी रखी। हालांकि वे मीडिया के सामने ज्यादा देर तक नहीं रहे। उन्होंने कहा कि भतीजा तानाशाही करने लगे तो उनके सामने दूसरा रास्ता नहीं बचा था।
इस बीच दिल्ली से बड़ी खबर यह है कि वहां चिराग पासवान कानून विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार वे पार्टी पर अपने दावे को लेकर तथा बागियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। साथ ही खुद को पार्टी का अध्यक्ष बताते हुए कुछ और बागियों को बर्खास्त भी कर सकते हैं।
चिराग ने लिखा लोकसभा अध्यक्ष को पत्र
इसके पहले चिराग पासवान ने पशुपति कुमार पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता मनोनीत करने पर विरोध जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि यह नियम के खिलाफ है। पार्टी के संविधान के अनुच्छेद-26 के मुताबिक, केंद्रीय संसदीय बोर्ड ही यह तय करने के लिए अधिकृत है कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा।
चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है और कहा है कि वे लोकसभा में एलजेपी के नेता के तौर पर उन्हें मान्यता देने से संबंधित सर्कुलर जारी करें। मंगलवार को चिराग ने ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर पांच सांसदों को बर्खास्त करने के पार्टी के फैसले के बारे में सूचित किया था। अब चिराग को लोकसभा अध्यक्ष के जवाब का इंतजार है।